पहला और अनोखा प्यार
पहला और अनोखा प्यार


निशा नवीन से बहुत प्यार करती थी और नवीन भी निशा से बहुत ज्यादा प्यार करता था।
दोनों एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते था कॉलेज से निकलने के बाद दोनों का फोन ऑन रहता कान में ईयर लीड लगाकर दोनों एक दूसरे की बाद सुनते रहते हैं इसलिए नहीं कि उन्हें किसी प्रकार का एक दूसरे के ऊपर शक था बल्कि इसलिए कि दोनों एक दूसरे की आवाज सुनना चाहते थे।
सांसों की आवाज
बोलने की आवाज
हंसने की आवाज
खाने की आवाज
हर आवाज को
दूर रहकर भी 24 घंटे सुनते रहना चाहते थे। इस बात का किसी को भी पता नहीं था। दोनों के घर वाले भी इस बात से अनजान थे कि कॉलेज में कब इन दोनों का प्यार इतना गहरा हो गया कि जितना शायद आज 35 साल के बाद उनके मां-बाप की शादी में भी आपस में नहीं होगा।
दोनों फाइनल में आ चुके थे उनके प्यार को पूरे 2 साल हो गए। दोनों एक दूसरे के बारे में हर एक बात जानते थे जो शायद उनके मां-बाप या उनके दोस्त भी नहीं जानते होंगे।
फाइनल ईयर के एग्जाम स्टार्ट हो गये। सारे एग्जाम बहुत अच्छे हो रहे थे।
आज उनका लास्ट एग्जाम था दोनों एक दूसरे से बात करते हुए आ रहे थे तभी निशा जी तरफ से आवाज आनी बंद हो गई सिर्फ पब्लिक का शोर सुनाई दे रहा था।
नवीन के कानों में आवाज आ रही थी अरे उठाओ उठाओ देखो कहीं मर तो नहीं गई नवीन चिल्लाए जा रहा था किंतु किसी भी व्यक्ति को नहीं पता था कि निशा का फोन ऑन है।
उस भीड़ में किसी समझदार इंसान के द्वारा एक महिला की मदद से निशा को अपनी गाड़ी में लेटाया और उसका सारा सामान लेकर हॉस्पिटल पहुंचाया। निशा को एडमिट कराया गया।
निशा का बैग उस इंसान के हाथ में ही था। उस व्यक्ति ने उस महिला से कहा कि आप यहां तक आए हैं कृपया एक मदद और कर दीजिए इस बच्ची के बैग में देखिए कोई फोन, कोई आईडी कार्ड हो तो इसके घर वालों को फोन कर देते हैं।
नवीन को यह सब बात सुनाई दे रही थी वह एक जगह रुक कर रोए जा रहा था। तभी उस महिला ने निशा के बैग से फोन निकाला और उसने देखा कि फोन तो ऑन है। महिला ने हेलो हेलो बोला तो उधर से हड़ बडा़ते हुए नवीन की आवाज आई निशा ......कहां हो तुम यार...... तुम्हें पता है .....मैं यह सब सुनकर .....मर जाऊंगा....
उस महिला ने बताया कि बेटा निशा का एक्सीडेंट हो गया एक गाड़ी वाला उसे टक्कर मार कर भाग गया उसकी हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। हम अग्रवाल हॉस्पिटल में इसको ले आए हैं आप अपने घर वालों को लेकर यहां पर आ जाइए जल्दी से।
नवीन के पास निशा की मम्मी पापा सब का नंबर था। लेकिन कोई भी नवीन को नहीं जानता था नवीन ने तुरंत उनको फोन लगाया और बताया कि निशा का एक्सीडेंट हो गया है और वह अग्रवाल हॉस्पिटल में है कृपया करके आप लोग जल्दी से जल्दी यहां पर पहुंच जाओ।
इधर नवीन भी जल्दी से हॉस्पिटल में पहुंचा और रिसेप्शन पर पूछा कि अभी जिस लड़की का एक्सीडेंट हुआ था उसे कहां रखा गया है?
रिसेप्शन पर बताया गया कि उसकी हालत अभी ठीक है चोट लगने से खून लगातार निकल रहा था जिसके चलते उन्हें पट्टी कर दी गई है और ग्लुकोज़ चढ़ाया जा रहा है। वह ऊपर दूसरे नंबर के कमरे में है आप जाकर मिल सकते हैं।
नवीन से पहले निशा के रिश्तेदार हॉस्पिटल पहुंच चुके थे और निशा के पापा मम्मी, चाचा चाची और दादा जी, निशा के पास पहले से बैठे हुए थे।
तभी नवीन वहां पहुंचा और गेट में जोर से चिल्लाते हुए बोला कि निशा क्या हुआ है तुम्हें?
निशा को अब तक होश नहीं था सब लोगों ने चौंक कर नवीन की तरफ देखा और नवीन से पूछा कि बेटा तुम कौन हो?
नवीन ने बताया कि मैंने ही आपको फोन किया था मेरा नाम नवीन है हम दोनों एक ही क्लास में है।आज हमारा आखरी एग्जाम था।
लेकिन निशा को कोई गाड़ी वाला टक्कर मार कर भाग गया। मैं निशा के साथ फोन पर बात कर ही रहा था उस वक्त किंतु मुझे यह नहीं पता था इस तरह की अनहोनी हो जाएगी और वह जोर जोर से रोने लगा।
नवीन बेटा ऐसे रो मत निशा अभी एकदम ठीक है जैसा कि हमारी डॉक्टर से बात हुई।
आज तुम्हारा एग्जाम का दिन है निशा तो आज पेपर नहीं दे पाएगी लेकिन तुम तो अपना एग्जाम दो बेटा, निशा के दादाजी ने नवीन के सर पर हाथ फिराते हुए कहा।
नहीं सर जब निशा ही पेपर नहीं दे रही तो मैं पेपर दे कर क्या करूंगा ? मैं तो हर पल निशा के साथ चलना चाहता हूं। इसके आगे जाकर क्या करूंगा ?
मेरे लिए सबसे बड़ी दुख की बात यह है कि निशा का एक्सीडेंट हो गया लेकिन मेरा एक्सीडेंट नहीं हुआ, आज वह दर्द में तड़प रही है लेकिन मुझे कहीं दर्द नहीं हो रहा, यह सब सोच सोच कर ही मैं तो बहुत ज्यादा दुखी हूं और वह और जोर से रोने लगा।
सब लोगों ने नवीन को बहुत समझाया किंतु नवीन ने किसी की नहीं सुनी। इस पर निशा के पापा ने नवीन का फोन नवीन से मांगा और बाहर लेकर चले गए।
नवीन को लगा शायद वह देखना चाहते हैं कि मैं निशा से बात कर रहा था या नहीं कहीं मेरा ही तो इस एक्सीडेंट में हाथ नहीं है यह सोचते हुए उसने निशा के पापा को अपना फोन दे दिया और फोन लोक खोल दिया था।
नवीन की कितनी इमानदारी देखकर निशा के पापा उससे बहुत इंप्रेस हुए।
वह फोन को लेकर बाहर चले गए यह सोचते हुए कि यह लड़का मेरी, लड़की से किस हद तक प्यार करता होगा जो अपने कैरियर के बारे में भी नहीं सोच रहा है।
यही सब दिमाग में सोचते हुए उन्होंने नवीन के मोबाइल में नंबर देखा कि पापा जी नाम से नंबर सेव किया गया था (जो कि निशा के पापा का नंबर था) लेकिन निशा के पापा ने तो नवीन के पापा समझकर फोन मिला दिया।
निशा के पापा का फोन बजने लगा उन्होंने फोन उठाया देखा तो यह तो वही नंबर है जिससे मुझे कुछ देर पहले कॉल आया था। अब उनको समझ में नहीं आ रहा था नवीन के घर वालों तक कैसे पहुंचा जाए ?
उन्ह
ोंने फिर कांटेक्ट लिस्ट देखी उसमें पापा जी होम करके नंबर सेव था उस पर फोन मिलाया तो उधर से आवाज आई बेटा तू इस वक्त फोन कर रहा है तेरा तो पेपर शुरू हो गया होगा..
तभी निशा के पापा ने कहां नमस्ते भाई साहब नवीन यहां मेरे साथ हॉस्पिटल में है एक बार हो सके तो आप यहां पर आ जाइए, पूरी बात मैं आपको यहीं पर समझा दूंगा।
नवीन के पापा ने चौंकते हुए कहा कि क्या हुआ है मेरे बेटे को ? हॉस्पिटल पहुंचने की नौबत कैसे आ गई?
निशा के पापा ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है नवीन एकदम ठीक है आप यहां पर आएंगे तो मैं आपको ज्यादा अच्छे से समझा पाऊंगा। नवीन के पापा ने कहा कि ठीक है मैं और नवीन के मम्मी अभी 20 से 25 मिनट में वहां पर पहुंच रहे हैं।
करीब 40 मिनट बित जाते हैं। नवीन के पापा और मम्मी हॉस्पिटल पहूंचते हैं। निशा के पापा और बाकी घर वाले तथा नवीन वहीं रिसेप्शन पर उनका इंतजार कर रहे थे क्योंकि डॉक्टर निशा का चेकअप करना चाहते थे इसलिए उन्होंने सब को बाहर निकाल दिया था।
नवीन अपनी मम्मी को लिपट कर रोने लग गया और कहा मम्मी निशा का एक्सीडेंट हो गया वह पेपर नहीं दे पाई।
निशा को बहुत चोट लग गई मम्मी, मैं उसके बिना नहीं रह सकता आज 2 साल बाद पहला ऐसा दिन है जब हम दोनों ने एक दूसरे की आवाज इतनी देर तक नहीं सुनी है मम्मी आपको पता है मैं हमेशा लिड लगाकर रखता था।
तभी निशा की मम्मी ने कहा कि निशा भी हर पल सोते हुए भी लिड लगा कर रखती है।
जि हां आंटी हम दोनों एक दूसरे के साथ फोन पर एक दूसरे के साथ रहते थे। आज वह दही के साथ सिर्फ आधा पराठा खा कर आई थी यह सुनकर निशा की मम्मी एकदम चौंक गई।
यह बात तो मुझे भी नहीं पता लेकिन हां जब अभी आते हुए मैं बाहर निकली तब मैंने देखा कि आधा पराठा बाहर रखा हुआ था हमने तो किसी ने भी है पराठा नहीं रखा था।
यह सब बात चल ही रही थी नवीन के पापा ने बीच में बोलते हुए कहा कि एक्सीडेंट निशा बेटी का हुआ है कम से कम तुम तो अपना एग्जाम देते।
नहीं पापा निशा एग्जाम नहीं दे रही थी तो मैं भी नहीं दूंगा। वह ठीक हो जाए हम लोग सप्लीमेंट्री एग्जाम दे देंगे लेकिन देंगे साथ ही अकेला तो मैं एग्जाम नहीं दूंगा।
तभी नर्स वहां पर आती है और कहती है कि अभी पेशेंट की हालत ठीक है शाम तक हम लोग, आप चाहे तो पेशेंट को छुट्टी दे सकते हैं। आप लोग बिल क्लियर करवा दीजिए और यदि आप चाहे तो हम कल तक पेशेंट को हॉस्पिटल में रख सकते हैं पेशेंट को होश आ चुका है आप लोग चाहे तो मिल सकते हैं।
सभी लोग निशा के कमरे की तरफ चल दिए।
निशा सब को देख कर बहुत खुश हुई उसकी आंखों में दर्द के कारण आंसू आ रहे थे।
नवीन जल्दी से आगे बढ़ा और उसने किसी की परवाह ना करते हुए उसके आंसू पूछे और कहा कि तुम ठीक हो ना मुझे माफ करना मेरे कारण तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ है।
निशा ने कहा कि नहीं पागल तू .....मेरे साथ था इसलिए तो मैं बच गई..... बेवकूफ फोन के कारण तुम सब लोग आ गए ......मुझे नर्स ने सारी बात बता दी है।
निशा कि अच्छी हालत देखकर सब लोग उन दोनों की बात सुनकर हंसने लगे तभी निशा की मम्मी ने कहा कि यह तुम दोनों की प्रेम कहानी कब से चल रही है।
निशा ने कहा मम्मी प्रेम कहानी नहीं हम दोनों एक दूसरे के साथी हैं। हमें पूरे 2 साल हो गए नवीन मेरा बहुत ख्याल रखता है।
तभी नवीन बीच में बोल पड़ता है ...
नहीं आंटी निशा मेरा बहुत ख्याल रखती है।
फिर से सब लोगों की हंसी छूट गई।
नवीन के पापा आगे बढ़े और निशा के सर पर हाथ रखते हुए कहा बेटा क्या तुम हमेशा नवीन के साथ रहना चाहोगी?
निशा ने कुछ भी नहीं सोचा और कहा कि हां अंकल जी बिल्कुल
नवीन के पापा ने निशा के पापा की तरफ हाथ जोड़ते हुए कहा कि आप बताइए भाई साहब क्या यह दोनों जिंदगी भर साथ रह सकते हैं इन लोगों का प्यार और आत्मसमर्पण देखकर यह लोग कुछ भी कहे उससे पहले मैं आपसे आपकी बेटी का हाथ अपने बेटे के लिए मांग रहा हूं। हम पहले ऐसे मां-बाप होंगे जो हॉस्पिटल में बच्चों के जिंदगी भर साथ रहने का फैसला लेंगे।
निशा के पापा अपने पिताजी की तरफ देखते हुए कहा कि अभी हमारे पापा जी यह फैसला लेने के लिए हमारे बीच में उपलब्ध है यह भगवान का आशीर्वाद है तो भाई साहब यह फैसला तो निशा के दादाजी ही लेंगे।
निशा के दादाजी ने निशा के पास बैठते हुए कहा बोल बेटा तू मेरी सबसे प्यारी बेटी है क्या तुझे नवीन बेटे के साथ हमेशा रहना।
निशा अब भी नहीं समझी कि आखिर चल क्या रहा है उसने कहा कि दादा जी हम तो दोनों साथ ही हैं और साथ ही रहेंगे।
पहले आप लोगों को पता नहीं था किंतु अब आप लोगों के सामने हैं हमने कभी कोई गलत काम नहीं किया। हमने कोई ऐसा काम भी नहीं किया जिसकी वजह से आप दोनों परिवार को कभी शर्मिंदा होना पड़े।
निशा के दादाजी हंसते हुए उठे और कहा कि भाई आज तो इतिहास लिखा गया ऐसा अनोखा प्रेम और ऐसा अनोखा रिश्ता ना कहीं हुआ होगा और ना होगा।
निशा आपकी हुई नवीन हमारा हुआ और सब लोग बहुत जोर जोर से हंसने लगे नवीन और निशा हकीकत में अब भी कुछ नहीं समझे थे इतना भोला उनका प्यार है।
दोनों ने सप्लीमेंट्री एग्जाम दिया दोनों पास हुए दोनों ने इसके बाद मैनेजमेंट डिप्लोमा किया।सबसे अच्छी बात यह हुई थी डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने खुद का बिजनेस स्टार्ट किया। दोनों की बेटी हो चुकी है।
सप्लीमेंट्री एग्जाम से पहले ही दोनों की शादी कर दी गई थी। अब दोनों एक दूसरे के हर पल साथ रहते हैं। आज भी उनका प्यार उतना ही मजबूत है उतना ही विश्वसनीय है।
आप सब लोगों से अनुरोध है कि मंगलवार को जब नवरात्रि की नवमी की पूजा हो रही होगी उस दिन उनकी बेटी की शादी है।
आप लोग अपना आशीर्वाद जरूर दीजिएगा l