Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Tragedy Fantasy

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Tragedy Fantasy

अंधा इश्क

अंधा इश्क

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पण्डित धरणीधर संभ्रांत ब्राह्मण जवार में बहुत इज़्ज़त थी उनकी उनके पास ईश्वर कि कृपा से क्या नहीं था।

एक भाई कालेज में प्रधानाचार्य खेती बारी कि कोई कमी नही पण्डित जी के परिवार का रसूख चार पांच कोस में था दूसरा कोई ऐसा परिवार नही था जो पण्डित धरणीधर कि बराबरी तक करने कि सोच भी सके।

पण्डित जी को कुल चार औलादे थी तीन बेटियाँ एव एक बेटा पण्डित जी का गांव जनपद तहसील कस्बे से विल्कुल सटा हुआ था पण्डित जी अक्सर शाम बाज़ार में बैठते जब वह घर से बाहर निकलते तब उन्हें प्रतिदिन एक औरत रास्ते मे बकरियाँ चराती मिलती पण्डित जी अपना रास्ता पकड़ते बाज़ार चले जाते। 

यह सील सिला चलता रहा एक दिन पण्डित जी को जाने क्या सुझा वह रास्ते मे रुक कर उस बकरी चवाहन से पूछ ही लिया कौन हो किस गांव की हो रोज यही क्यो बकरी चराने आती हो ? 

एक साथ इतने सवाल सुन कर वह हक्का बक्का हो गयी क्योकि पंडित जी एव उनके परिवार का रसूख जो था।

पण्डित जी ने कहा डरो नही हम ऐसे ही पूंछ रहे है पण्डित जी कि नियत को भाँब बकरी चरवाहन बोली मॉलिक हमार नाम जेबुन्निसा है और हम पड़ोस के गांव हमीदा मिया कि बेगम है पण्डित जी उत्तर सुन आगे बढ़ गए उस दिन के बाद पण्डित जी नियमित बाज़ार जाने से पहले बकरी चरवाहन जैबुन्निसा से कोई न कोई बहाना खोज कर बात करते।

धीरे धीरे पण्डित जी जैबुन्निसा कब एक दसरे के करीब आ गए पता ही नही चला।

ईद पर पण्डित जी को जैबुन्निसा ने अपने घर दावत पर बुलावाया और अपने शौहर हमीदा बच्चों सलमा,अजमल,अशरफ ,यूसुफ रूबिया से परिचय करवाया हमीदा और उनकी औलादों को लगा इतना बड़ा रसूखदार आदमी उनके घर आया है बड़े खुश हुए

और पण्डित जी को भी लगा की जैबुन्निसा से मिलने जुलने में उसका परिवार बाधक नही बनेगा।

अब पण्डित जी अक्सर बाज़ार से लौटते समय जैबुन्निसा के घर जाते कभी कभार रात को रुक भी जाते घर वाले खोजते उनको लगता कि कही मित्र हित के यहाँ चले गए होंगे घर वालो को पण्डित जी के इस आचरण का भान तक नही था जो वह कर रहे थे आते जाते रुकते।

पण्डित जी एक रात से सप्ताह और महीनों जैबुन्निसा के यहाँ ही रहते जब मन करता आते जब मन करत चले जाते पण्डित जी का इस कदर नैतिक पतन हो चुका था कि जिनके रसूख के भय सम्मान में लोगो के साथ साथ बकरी चारवाहन रास्ता छोड़ देती अब वह स्वंय भी बकरी चराते और उसी के घर नियमित रहने ही लगे।

घर वाले निराश हताश करते भी क्या ?तीन बेटियाँ एव एक बेटा अपने भविष्य को लेकर ससंकित बच्चों एव परिवार को भय यह भी सता रहा था कि कही उनके भविष्य के रखवाले पिता अपनी खेती सम्पत्ति जैबुन्निसा एव उसके औलादों के नाम ही ना कर दे। 

पण्डित जी के बेटे ने न्यायलय में मुकदमा किया जिससे वह पारिवारिक संपत्ति को बचा सके न्यायलय में बेटे से जब विद्वान न्यायाधीश ने पूंछा कि तुम्हे क्या कहना है बेटे ने सिर्फ यही कहा जज साहब मेरा बाप मर चुका है मैं नही जानता की यह कौन है ? 

जज ने पण्डित धरणीधर से पूछा आपको कुछ कहना है पण्डित जी क्या बोलते?

 न्यायलय ने बेटे के पक्ष में निर्णय दिया पण्डित जी को जैबुन्निसा साथ लेकर चली गयी पण्डित जी कि जब मृत्यु हुई विवाद फिर बढ़ा की इनको दफनाया जाय या जलाया जाय।।


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