Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

शेरू

शेरू

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विल्सन के लौटने के बाद सबसे अधिक सौभाग्य पर प्रभाव पड़ा उसके व्यवहार में बहुत परिवर्तन हो चुका था वह पहले कि अपेक्षा गम्भीर रहने लगी और माई तीखा बापू जुझारू को बहुत नहीं परेशान करती ।

अपनी नित्य जिम्मेदारियों को बिना कहे पूरा करती लकड़ी के लिए वन प्रदेशों में जाने के लिए पहले माई तीख कितनी बार निहोरा करती तब वह निकलती विल्सन के जाने के बाद वह अपने आप चली जाती उसकी नादानियां शरारतें चुलबुलापन जाने कहाँ गायब हो चुके थे।


 वह कभी कभी माई तीखा से अवश्य प्रश्न पूछती माई का लोग ऐसे ही जाए खातिर आवत है तीखा बेटी को अपने ठेठ अंदाज में समझाती कहती बेटी एक दिन हम और बापू भी तोका छोड़ी के चली जाब तब ते का करिबे ऐसे दुनिया है ।


माई कि बात सुन कर सौभाग्य जाने किस सोच में खो जाती जैसे कि वह जानना चाहती है की  मिलने के बाद बिछड़ने वाले क्यो चले जाते है?

 माई तीखा कहां जाने कि बात करती है ।


सौभाग्य पूजा देवी देवताओं कि सेवा में भी कुछ समय व्यतीत करने लगी थी।


सोच में डूबी सौभाग्य लकड़ी हेतु सघन वन प्रदेश में वहां पहुँच गयी जहां उसे विल्कु घायल अवस्था मे मिला था उसने सोचा कुछ देर सोते के पास बैठा जाये फिर आगे लकड़ियों हेतु जायेंगे ।


सौभाग्य सोते के पास बैठ गयी जिसके जल को पत्तों के दोने में लेकर घायल विल्कु को होश में लाने का प्रयास किया था सौभाग्य ज्यो ही बैठी अतीत का सारा दृश्य उसके मानस पटल पर छा गया कैसे उसने विल्सन को बचाया या बनदेवता ने बचाने हेतु उसे माध्यम बनाया और साहस शक्ति प्रदान किया। 


सौभाग्य सोते के किनारे बैठी अतीत के अजीबो गरीब घटना के स्मरण के पन्नो को पलट ही रही थी कि उसे एहसास हुआ कि उसके बगल में कोई बैठा है सौभाग्य ने देखा कि उसके बगल में शेरा बैठा हुआ है सौभाग्य कि खुशी का कोई ठिकाना ना रहा उसे समझ मे नहीं आ रहा था कि जिस शेरा को वह दो वर्ष पूर्व छः माह के बच्चे के रूप में छोड़ा था वह इतना बड़ा दिखने में खतरनाक बन जायेगा सौभाग्य को शेरा से तनिक भी भय नहीं लगा शेरा भी सौभाग्य के पास ऐसे ही बैठा था जैसे कि दो वर्ष पूर्व घायल अवस्था मे सौभाग्य के गोद में हो शेरू ऐसा प्यार कर रहा था सौभग्या से जैसे किसी परिवार के भाई बहन सौभाग्य शेरू को दुलारती पुचकारती शेरू तरह तरह से करतब दिखाता जिसे देखकर सौभाग्य खुश होती शेरू को भी लगता कि उसने बहुत बड़ा कार्य किया सौभाग्य को खुशी देकर ।


सौभाग्य के मन मतिष्क पर एकाएक विल्कु कि घटना याद आयी उसे लगा शायद शेरू ने ही विल्कु पर हमला किया हो सौभाग्य ने वास्तविकता को जानने के लिए ठीक वही आवाज निकालना शुरू किया जिसे उसने विल्कु को शेर से बचाने के लिये निकाला था शेरू ने भगाने का स्वांग किया और कुछ दूर जाने के बाद लौट आया सौभाग्य को अंदाजा तो हो गया लेकिन भरोसा नहीं अतः उसने विल्कु के रुमाल को शेरू के सामने लहराना शुरू किया ज्यो ही सौभाग्य ने विल्कु का रुमाल लहराया शेरू ने तेज झपटा मारा और रुमाल को फाड़ने का प्रायास करता जा रहा था तभी सौभाग्य ने पुनः वही आवाज निकाली जिसे उसने विल्कु को शेर के हमले से बचाने के लिये निकाला था शेरू ठीक उसी अंदाज में भागा जैसे कि विल्कु पर कर रहा शेर अब सौभाग्य को विश्वास हो गया कि विल्कु पर आक्रमण करने वाला शेर शेरू ही था जिसे अपनी जीवन दायनी सौभाग्य के आवाज का अंदाज था ।


सौभाग्य ने अपने बन देवी देवताओं का आभार व्यक्त किया कि विल्कु को बचाने के लिए सौभाग्य और मारने के लिए शेरू को भेज दिया सौभाग्य ने अपने देवी देवताओं की महिमा का ध्यान करते शेरू के सर पर हाथ फेरना शुरू किया शेरू को भी पूरे दो वर्षों बाद अपनी चहेती का साथ मिला था वह भी दुम हिलाता कृतज्ञता अपने जीवन के लिए व्यक्त करता इसी तरह घण्टो बीत गए शेरू और सौभाग्य को साथ साथ बैठे अठखेलियाँ करते।


सौभाग्य शेरू के साथ बैठी खेलती बचपन के उन अतीत के पन्नों को पलटने लगी जब उसे दस दिन का शेरू जंगल के रास्ते में मिला था जाने कितने दिनों से अपनी मरी मां के स्तन पान कि कोशिश करता जा रहा था दुनिया में आये दस ही दिन हुये थे और माँ ने साथ छोड़ दिया था मां तो मर चुकी थी गुंजाइश मात्र इतनी ही थी कि अन्य शेरो या जंगली जानवरों ने दस दिन के शेरू एवं उसकी मृत मां को नहीं देखा नहीं तो शेरू कि तो कोई विसात ही नहीं उसकी मरी मा के नामोनिशान नहीं बचते।


सौभाग्य लकड़ी बीनकर लौट रही थी और उसे शेरू जाने कितने दिनों से मृत मॉ का स्तन पान करने की कोशिश कर रहा था और लगभग मरणासन्न हो चुका था फिर भी जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था।


माई तीखा लगभग हर दिन सौभाग्य को मना करती थी कि वह जंगल के सोते वाले रास्ते से कभी ना आये ना जाये क्योकि एक तो उधर भयंकर जंगल एवं अंधेरा है तो दूसरा जल सोत होने के कारण खतरनाक जंगली जानवर पानी पीने आते है अतः कोई भी जंगल में रहने वाला आदिवासी परिवार या परिवार का सदस्य उस रास्ते कभी भी नहीं गुजरता अजीब संयोग ही था सौभाग्य जब लकड़ियां बीन कर लौट रही थी तभी आपस में लड़ते भिड़ते उग्र जंगली सुअरों का झुंड ने सौभाग्य एव जंगल मे अन्य आदिवासी जो विभिन्न उद्देश्यों कार्यों व्यस्त थे को दौड़ाना शुरू कर दिया सब इधर उधर भागे सौभाग्य भी शोर शराबा सुनकर लकड़ियों से लदा कांवड़ लेकर भागने की कोशिश करने लगी लकड़ियों से लदा कांवड़ लेकर भागना तो सम्भव था नहीं अतः सौभाग्य ने अपना रास्ता बदला और पहली बार जंगल के खतरनाक रास्ते कि तरफ खतरों से अंजान चल पड़ी ।


जब सोते के किनारे पहुची तो झाड़ियों से आती दुर्गंध कि अनुभूति उसे हुई वह रुकी इस उद्देश्य से की शायद कोई इंसान हो जानवरो का शिकार हो गया हो और बची हड्डियों से दुर्गंध आ रही हो सौभाग्य ने कांवड़ जमीन पर रखा एवं झाड़ियों कि तरफ गयी देखा नवजात शेर का शावक मृत मॉ का स्तनपान करने की कोशिश कर रहा है और लगभग जीवन की अंतिम सांसे ले रहा है सौभाग्य ने अपने कावड़ की लकड़ियों के बीच शेर के शावक को ऐसा रखा कि वह गिरे नहीं और वन देवी देवताओं को स्मरण करती अपनी झोपड़ी पहुंची।


माई तीखा ने देखा कि बिटिया शेर का बच्चा लायी है क्रोधित होते बोली बिटिया सौभाग्य ई का कीए हऊ एकरे माई शेरनी के जब पता चले कि वोकरे बच्चा ईहा बा त सगरो परिवार के कच्चे जबा जाई सौभाग्य बोली माई एकर माई नाही है मर चुकी है ई जाने केतने दिनों से मरी माई के दूध पिये कि कोशिश करत रहा ऊहे से एके उठा के ले आइल हई वन में जंगली सुअर आपस मे लड़त झगड़त मनईन के दौरा लिए हम भरे कांवड़ कि लकड़ी लेके कहाँ  जाईत सो हम जान बुझी के रास्ता बदल दिए और पहुची गए घने जंगल सोते के पास जहां ई शेर का बच्चा झाड़ी में मरी सड़ी अपनी माई के दूध पिये के कोशिश करत रहा हमार जियरा पसीज गवा मन नाही माना और साथ लइ आए।

माई तीखा ने बेटी सौभाग्य के मन में करुणा भाव को महसूस कर बहुत गर्व से बोली शाबाश बेटी केहू के दुःख पीढ़ा कि खातिर कूछो कर सको तो जरूर करो ऐसे अपने बन देवता प्रसन्न होहिए और बरक्कत होई ।


सौभाग्य माई तीखा कि बाते सुनकर बोली माई तोरे सिखावल है जेके कारण शेर के बच्चा के ले आए ई जानत है माई कि ई जब बलवान होई तब कबों घात कर देई ई ठहरल जंगल के राजा लेकिन ई समय एकर हालत बहुत खराब बा एके जीआवे के बा सौभाग्य ने शेर के बच्चे को जो सिर्फ सांस ही ले रहा था और कभी भी दम तोड सकता था को माई तीखा को दिया और बोली माई दूध एका पिलाओ तीखा ने दूध कि व्यवस्था किया और शेर के बच्चे को सितुही से पिलाने कि कोशिश करने लगी लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद वह दूध नहीं पी पा रहा था तीखा सारे जतन करके थक गई फिर भी शेर का बच्चा था कि दूध पीने का नाम ही नहीं ले रहा था तीखा अन्य आदिवासी महिलाओं एवम पुरुषो से शेर के बच्चे को दूध पिलाने के अनेकों नुस्खे पूछे और आजमाया लेकिन सब बेकार ।


तीखा परेशान इस बात को लेकर अधिक थी कि जब सौभाग्य बिटिया को पता चलेगा कि उसके शेरू को उसकी माई नाही बचाए पाई तब ऊ सर आसमान पर उठा लेई अंत में आदिवासी कुनबे कि सबसे बड़ी बुजुर्ग महिला झलारी जब तीखा कि दुविधा जानीन तब से खुदे तीखा के पास जाई बोलिन का बात है तीखा सुना सौभाग्यवा कौनो शेर के बच्चा जंगल बीच से उठा लाई है और ऊ दूध नाही पियत बा कुछ खाई सकत नाही ससुरा मरीन जाई वोके मरते सौभाग्यवां आफत खड़ा कर देई उहे एगो आंखे में के पुतरी बा खिसियाए जाई त बड़ा मुश्किल मनावल होई ।


झलारी तीखा से पुछिन सौभाग्य जब एका उठाए के लै आईन तब शेर के ई बच्चा का करत रहा तीखा बताएन जब सौभाग्य एका देखीन तब ई अपने मरी माई जो सड़ गई थी वास मार रही रहे वोकरे दूध पिए खातिर वोकर थान पकरे रहा और दूध पिए क कोशिश करत रहा लेकिन मरे के थान से कतो दूध निकरत है। 


आदिवासी परिवारों में सबसे अनुभवी बुजुर्ग झलारी बोली तीखा शेर के बच्चा के दूध तू खुदे पिलाओ तीखा बोली चाची सौभाग्य दस बारह वारिश के होई गई अब हमरे कहा से दूध निकरे झलारी बोली पियाए के देख शायद चमत्कार होय जाए तीखा का करतेंन बिटिया सौभाग्य के जिद्द और एक मरत जानवर के जिनगी के सवाल रहा तीखा शेर के बच्चा के आपन स्तन दूध पिए खातिर जैसे पकड़ान झट उसने तीखा का स्तन पीना शुरू किया जैसे उसकी सौभाग्य हो और चमत्कार तब हुआ जब तीखा के स्तन से दूध कि धार निकल पड़ी और शेरू के जान में जान आई। 


सौभाग्य को जब यह पता चला कि माई तीखा वोकरे शेरू के आपन दूध पिलाई रही है गर्व और खुश होकर बोली माई देख वन देवता हमें एक भाई दिहले ऊहो शेर तीखा बोली बावली तोरे खुशी खातिर तोरे शेरू के आपन दूध पिलावत हईन काहे ससुरा कोनो विधा ई बाहर से दूध नाही पियत रहा सौभाग्य बोली माई ई जी जाय हम वनदेवता देवी के खुदे जमीन पर सूती सूती पैकरा करब शेरू को तीखा ने एक सप्ताह तक अपना दूध पिलाया शेरू अब बाहर का भी दूध आहार पीने खाने लगा दो महीने में ही शेरू सौभाग्या तीखा जुझारू के परिवार का प्यारा दुलारा महत्वपूर्ण पारिवारिक हिस्सा बन गया दो महीने में शेरू स्वस्थ और ताकतवर बन गया आदिवासी बच्चों के साथ खेलता जैसे वह शेर का बच्चा ना होकर किसी इंसान का बच्चा हो सौभाग्य जब लकड़ी हेतु सघन जंगलों में जाति तब शेरू तीखा और जुझारू के साथ रहता जुझारू के साथ कभी कभी छोटे मोटे शिकार करने में मदद करता शेरू बहुत महत्वपूर्ण और अनिवार्य  हिस्सा बन चुका था सौभाग्य के कुनबे के लिए

शेरू के बिना सौभाग्य जुझारू कि दुनिया का कोई मतलब ही नहीं था मरणासन्न शेर शावक शेरू ताकतवर शेर का रूप लेता जा रहा था जिसके खूंखार होने कि संभावना भी थी इस सच्चाई से जुझारू तीखा और सौभाग्य सभी परिचित थे लेकिन प्यार परिवार और संवेदनाओं ने खूंखार शेर शेरू को इंसानों का दुलारा प्यारा और शेरू का जीवन संसार बना दिया था।।


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