Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Fantasy Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Fantasy Inspirational

प्यार में

प्यार में

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करीम अंसारी बी एस सी प्रथम वर्ष के विद्यर्थि था हाई स्कूल एव इंटरमीडिएट में करीम ने अपने मेहनत परिश्रम से जवार में अब्बू अम्मी एव कुनबे का नाम रौशन किया था ।

बी एस सी गणित के छात्र करीम गांव से दूर रह कर अध्ययन कर रहे था उसके पास अध्ययन के अतिरिक्त कोई कार्य नही था उसके साथ कि छात्र मंडली उंसे घूरे मींया के नाम से इसलिए पुकारते क्योंकि कारीम के पास पढ़ने लिखने के अलावा कोई खुराफात या आदत नही थी

कालेज से कमरे तक ही उसकी जिंदगी सिमटी हुयी थी ।

एका एक एक दिन कारीम ने देखा कि उनके कमरे के सामने मैदान में लगभग पचपन साठ वर्ष आयु कि महिला घास गढ़ रही है जिज्ञासा बस उसने सवाल किया यहां क्या कर रही हो ? 

महिला ने उत्तर दिया घास गढ़ रही हूँ और मैं तो रोज ही आती हूँ आज आपने ध्यान दिया नही तो आप कमरे में बंद पढ़ते ही रहते है कारीम ने पूछा क्या नाम है ? 

वह बोली चनियां प्यार से सभी लोग बुलाते है वैसे मेरा नाम साबिया खातून है बात आई गयी खत्म हो गयी ।

चनियां प्रति दिन कारीम के कमरे के सामने घास गढ़ती और कारीम देखता गाहे बगाहे कुछ बात चीत कर लेता सिलसिला चलता रहा ।

एक दिन जब चनियां घास गढ़ रही थी तभी उसने कारीम के कमरे से भयंकर दर्द भरी आहे सुनी वह दौड़ी दौड़ी कमरे तक गयी और बड़ी मुश्किल से दरवाजा स्वंय खोला कमरे में दाखिल हुयी देखा विस्तर पर पड़ा कारीम ही कराह रहा था उसकी तबियत बहुत खराब थी ।

कारीम के कमरे के आस पास दूर तक कोई और नही रहता था जो उसकी पीड़ा की आवाज सुन सके चनियां ने कारीम से कुछ पूछना चाहा किंतु वह जबाब भी नही दे पा रहा था सिर्फ बड़बड़ाये जा रहा था चनियां को समझते देर नही लगा कि कारीम कि हालत बहुत खराब है।

वह भागे भागे डॉक्टर के पास गई और उनसे साथ चलने को कहा डॉक्टर एक घसगरीन के कहने पर चलने को सकुचाते हुये एक साथ जाने कितने सवाल कर डाले चनियां डॉक्टर के पैरों गिर याचना करने लगी डॉक्टर को उस पर दया आ गयी वह उसके साथ चल पड़े और करीम के कमरे पर पहुंच कर स्तब्ध रह गए ।

कारीम की हालत बहुत नाजुक मरणासन्न थी डॉक्टर ने बिना विलंब उपलब्ध संसाधनों से करीम कि चिकित्सा शुरू की और चनियां को धन्यवाद दिया की उसने मरणासन्न व्यक्ति कि जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

कारीम के इलाज के दौरान डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक चनिया खान पान बना कर लाती और करीम कि देख भाल करती जाने से पहले सारी व्यवस्था करते हुए जाती ।

करीम को पूर्ण स्वस्थ होने में लगभग एक माह का समय लग गया इस दौरान करीम कब चनियां के दिल के करीब पहुंच गया पता ही नही चला। 

वास्तविकता यह थी की चनियां के करीम के हमउम्र औलादे थी ।करीम जब पूर्ण स्वस्थ हो गया तब भी चनियां नियमित आती दोनों साथ बैठकर ढेरो बाते करते दोनों की मुलाकात प्यार के उस मुकाम पर पहुंच गया जहाँ से किसी भी इंसान का वापस लौट कर आना बहुत मुश्किल ही होता है ।

चूंकि करीम के आस पास कोई नही रहता था अतः किसी का ध्यान भी नही गया लेकिन चनियां कि औलादों एव शौहर को चनियां और करीम के इश्क मोहब्ब्त कि बात पता चल ही गयी अब चनियां का घर से निकलना ही दुर्भर हो गया ।

करीम छिप छिप कर मिलने की जुगत भिड़ाता रहता कभी कामयाबी मिलती कभी नाकामयबी चनियां पचपन साठ साल कि उम्र में भी बेहद तीखे नाक नक्स कि गोरी छरहरी बेहद खूबसूरत थी ।

एक दिन मौका मिलते ही चोरी छिपे वह स्वंय करीम से मिलने आयी जिसकी जानकारी उसके औलादों और शौहर को हुई इधर चनियां करीम से अपनी चाहतों का इज़हार कर रही थी तभी उसके शौहर मताउल्ला एव औलादे जब्बार ,मुसाफिर ,बेटी ,मुमताज एक साथ आ धमके जिसे देखते ही करीम एव चनियां कि सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी और दोनों किसी अनजाने खतरे के भय से कांपने लगे।

लेकिन शौहर मताउल्ला ने बड़े धैर्य से कहा बेगम तुम्हे उम्र कि इस दहलीज पर इस नौजवान से इश्क हो गया है कोई बात नही मेरी बूढ़ी हड्डियों में दम नही है तुम्हारे शौख पूरा कर सकने की ।

मैं तुम्हे तलाक दे देता हूँ तुम इस नौजवान से निकाह कर लो इश्क में उम्र आदि कि दीवारे आड़े नही आती बेटी मुमताज ने एव बेटों ने भी यही कहा अम्मी आपकी खुशी ही हम सबकी खुशी है ।

चनियां का सर शर्मिंदगी से झुक गया औऱ उसकी आँखों से आंसुओं का समन्दर फुट पडा जो उसके अपराध बोध एव प्राश्चित का स्प्ष्ट बोध था वह अपने शौहर एव औलादों से मांफी की गुजारिश करने लगी सभी ने एक साथ कहा खुदा के हुजूर में अपनी खता कि माफी की दुआ करों हम इंसानों की क्या औकात 

चनियां घर लौट गई मगर करीम को दे गई इश्क मोहब्ब्त कि गहराई का खुदाई एहसास।।


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