Shalini Dikshit

Tragedy

5.0  

Shalini Dikshit

Tragedy

अजन्मी

अजन्मी

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माँ.!. माँ..! अरे ओ मम्मी ! पापा सो गए अब मुझ से बात करो मेरी बात का जवाब दो, क्या कह रही थी तुम? सुबह हॉस्पिटल जाओगी, नही माँ मना कर दो मत जाओ।

क्या मेरी कोई फिक्र नहीं तुम को?

चिंकी और मिन्की की तो बहुत फिक्र करती हो जरा सी चोट लगे तो दौड़ के प्यार करती हो । उन में और मुझ में अंतर क्या है? मम्मी! बोलो है क्या अंतर? मेरी दीदी ही तो है वह दोनो।

कुछ दिन पहले तुम रोज उन दोनों दीदीयों से मेरी बात करती थी आएगा तो दीदी-दीदी करेगा, अब क्यों नही करती? क्योंकि मैं आएगा नही आएगी हूँ? बोलो न तुम भी सो गई क्या? मैं भी तो दीदी ही कहूंगी उन दोनों को।

माँ मुझे सब महसूस होता है, सब सुनाई देता है। तुम्हारे अंदर रह कर तुम को पहचानती हूँ। तुम जब हँसती हो गुस्सा होती हो या जो खाती हो सब मुझे महसूस होता है।

कहो न कल नही जाओगी अस्पताल मना कर दोगी सुन रही हो न माँ मेरी बात बोलो न ।

अगले दिन...

"मैडम के लिए इंजेक्शन तैयार करो"...डॉक्टर ने नर्स को बोला।

"मेरी बात नही मानी आ गई मम्मी प्लीज् वापस चली जाओ अब भी वक़्त है जाओ न वापस।"

"देखो! —देखो ! —इंजेक्शन...ओह नो!"

"मम्मी उठो कितना बड़ा चाकू जैसा कुछ है।" 

"मुझे डर लग रहा बचा लो मुझे । तुन सो गई क्या इन्जेक्शन के नशे से? तुम को दर्द नही होगा पर मुझे हो रहा है।बचा लो न।"

अरे...री..ई ई ई.... मेरा हाथ..

अब पैर भी भीईईई हाई रे ओह माँ ! कोई नही सुन रहा मेरी चीखे।

अब गर्दन भी गई ....सब शांत।

"मैडम को रूम में शिफ्ट कर दो।" —डॉक्टर ने नर्स को बोला।



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