अजीब इश्क़ -2
अजीब इश्क़ -2
पिछले भाग में अपने कहानी में पढ़ा कनिधि अपना डर सबसे छुपा रही है वो ये भी जानती है कि किसी को भी बताने से घर का माहौल खराब हो जाएगा और सबके मन मे शंका जन्म ले लेगी अब आगे....
निधि अपने मम्मी और बाऊ जी के साथ शादी की शॉपिंग करने जाती है पर मन में जो डर है वो हर पल उसके ऊपर हावी रहता है उसका ध्यान ही नही होता किसी भी चीज़ को देखने में वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी कि अचानक उसके बाऊ जी ने उसके कंधे पर हाथ रखा तब उसकी विचारों की तन्द्रा टूटी
उसके बाऊ जी उसे कब से निहार रहे थे कि बिधि का ध्यान कहीं ओर है उसका चेहरा बता रहा था कि वो किसी बहुत बडी परेशानी में है पर जो वो बता नही रही उसके बाऊ जी कहते है "चल निधि कुछ ठंडा पी कर आते है बहुत गर्मी है तब तक तेरी माँ को दूसरा समान लेने देते है ये कहकर वो और उसके बाऊ जी दोनों सामने वाले रेस्टोरेंट में चले जाते है
वहां जाने के बाद निधि के बाऊ जी दो गन्ने के जूस आर्डर करते है फिर निधि के पास आ कर उसके सर पर हाथ रखते और प्यार से पूछते है "क्या बात है बेटा मैं देख रहा हु तू पिछले कई दिनोंसे परेशान है और तू ये परेशानी किसी को भी नही बता रही क्या बात है बेटा जब तक बताएगी नही तो उसका हल कैसे निकलेगा"पर निधि के पास कोई जवाब नही था क्या बताए वो कि उसकी परेशानी क्या है क्योंकि उसकी परेशानी क्या है ऐसी परेशानी जो उसकी सोच से परे है बाऊ जी उसे फिर से कहते है"लाडो नही बताएगी तो पता कैसे चलेगा कैसे उसको सुलझाएंगे चल बता अपने बाऊ जी भी नहीं बताएगी "निधि की खामोशी उन पर भारी पड़ रही थी उनका दिल बैठा जा रहा था बड़ी हिम्मत से वो निधि से आस लगाए बैठे थे कि वो कुछ तो बोलेगी पर निधि ने तो जैसे मौन धारण कर रखा था।
शेष अगले भाग में.....

