आजादी ज़िल्लत से
आजादी ज़िल्लत से
अजीब थी वो जो ऐसे हंस रही थी वो भी खुद के पति की मौत पर। बड़ा ताज्जुब हुआ कि कैसी औरत है ..पति मरा है और ये खिलखिलाकर हंस रही है ऐसा क्या हुआ जो ये इतनी खुश है और लोग बातें कर रहै हैं एक बोला "कितनी बेशर्म है पति मरा है सुहाग उजड़ गया है पर देखो इसको कैसे हंस रही है जैसे इसे आजादी मिल गयी हो"पर सच यही था क्योंकि उसका पति रोज़ उसको एक नई मौत मारता था उसके जिस्म का सौदा करके।ओर आज वो आज़ाद हो गयी थी रोज़ रोज़ की मौत से।सच ही तो है ऐसी ज़िल्लत से तो मौत भली । जो रोज़ रोज़ मारता था आज उसको मार कर आजादी पा ली चाहे वो जेल में हो या ज़िल्लत से। कम से कम चैन तो मिलेगा रोज़ एक नई मौत नही मरना पड़ेगा वो चिल्ला रही थी आजादी मिल गयी मुझे नरक से आजादी।
