अजब गजब - 1
अजब गजब - 1
"आज एक अजीबो गरीब मामला कोर्ट में पेश हुआ"
"अच्छा क्या हुआ ?"
"एक कवित्री पत्नी का विवाह एक क्रांतिकारी पति से हो गया."
"फिर क्या हुआ ?"
"विस्फोट "
"अच्छा वो कैसे?"
"देखिये साहब शादी हुई तकरेबन 5 - 6 साल पहले और कवित्री महोदया पति को बात बात पर सुनाने लगी कि माँ बनते वक़्त जो तकलीफ होती है वो एक औरत ही बता सकती है मर्द नहीं । कभी कविता कभी कहानी और कभी बहस । पति थे क्रांतिकारी तो वो भी हां से हां मिलाते रहे ।"
"बहुत बढ़िया "
"नहीं नहीं सुनो तो"
"अच्छा कुछ और भी है ?
अरे अभी सुनाया ही क्या है ?ठीक तो सुनाओ"
"तो साहब क्रांतिकारी पति हां में हां मिलते रहे । फिर एक दिन कवित्री पत्नी ने कहा कि अब शादी को काफी वक्त गुजर गया अब एक बच्चे की प्लानिंग की जानी चाहिए । तब पति महोदय ने अपनी क्रांति का झंडा बुलंद कर दिया और फैसला सुना दिया कि मैं तुम्हे इतना प्यार करता हूँ कि कांटा तक नहीं चुभने दे सकता तो भला इतना अत्याचार कैसे कर सकता हूँ और फिर आबादी भी बहुत बढ़ गयी है । इसीलिए बच्चे को भूल जाओ ना भूतो ना भविष्ते । अब कवित्री महिला कोर्ट में अरज लेकर हाज़िर हुई है कि बच्चे पैदा करना उनका अधिकार है इसीलिए पति को आदेश दिया जाए ।"
"हा हा हा"
"क्रांति पर हंसा नहीं जाता या तो उसका विरोध किया जाता है या उसके साथ खड़ा हुआ जाता है ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रल रहा जा सकता है ।"