Sudhirkumarpannalal Pratibha

Romance

4.2  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Romance

अच्छा सिला दिया तूने

अच्छा सिला दिया तूने

17 mins
284


         प्यार ! जिसको साहिल ने पूजा, जिसको साहिल ने जान से भी ज्यादा चाहा, जिसमें साहिल का सारा अस्तित्व छिपा था, उसी प्यार ने आज साहिल का जीवन बर्बाद कर दिया।

साहिल ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा हो जाएगा, और जिस पर वो विश्वास करेगा .... वही विश्वासघात कर जाएगा। आज साहिल एक ज़िंदा लाश बन गया है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण छिपा है।

वो साहिल के घर से कुछ दूर रहा करती थी। उसको जब पहली बार देखा था तो साहिल पूरी तरह विचलित हो गया था। अल्लाह ने उसे कितनी खूबसूरती से बनाया है, उसकी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखे, उसके लम्बे-लम्बे घनेरे बाल, खोलकर लहरा दे तो काली रात हो जाए, उसकी हिरनी सी चाल जितनी तारीफ़ की जाए कम है। साहिल जब भी उसके घर के तरफ से गुजरता, वो लान में अपने झूले पर बैठकर पत्र-पत्रिकाओं में आँखे गड़ाए रहती, या टहलती रहती। अंजू उसकी ख़ास सहेलियों में से एक थी इसलिए साहिल अंजू के घर हमेशा आता-जाता रहता।

अंजू और वो दोनों एक ही क्लास में पढ़ती थी। एक दिन साहिल क्लास छूटने के बाद अपनी कार से आ रहा था, तभी वो और अंजू उसे रास्ते में नजर आई, आज वो गजब की लग रही थी। साहिल कार खड़ी करके उसे अविराम अपलक निहारने लगा। और तब तक निहारता रहा जब तक वो आँखों से ओझल हो गई। साहिल को उससे प्यार हो गया था।

समय बीतता जा रहा था। और धीरे-धीरे साहिल का इश्क परवान चढ़ता जा रहा था। लेकिन साहिल की हिम्मत नहीं होती थी कि वो अपने सच्चे इश्क का इजहार अंजू की सहेली से कर सके। साहिल को तो उससे नाम पूछने में भी डर लगता था।

साहिल को ये महसूस हुआ कि ये प्यार एक तरफ़ा है। साहिल उसके बिना ज़िंदा नहीं रह पायेगा। ऐसा उसको महसूस होने लगा था। साहिल जिस दिन उसको नहीं देखता उस दिन उसे अजीब तरह की बेचैनी तड़पाने लगती। जब भी साहिल अपने प्यार के इजहार की बात सोचता उसे एक अंजाना सा डर सताने लगता। कही वो मना न कर दे। वो नाराज होकर मेरे घर वालो से न कह दे। लड़कियों पर विश्वास नहीं करनी चाहिए।`वो कुछ भी कर सकती हैं। उसका सब कुछ क्षम्य है। उसकी सब सुनेंगे। साहिल की तरफ से कोई नहीं बोलेगा। भविष्य की बाते सोच सोचकर साहिल को डर के मारे अजीब तरह की बेचैनी होने लगती। 

वक्त पंख लगाकर उड़ रहा था, वो जब भी कालेज जाती है, साहिल उसके पीछे हो जाता है। एक दिन साहिल ने हिम्मत करके पूछा, “हैलो .! आप का नाम क्या है ... ?”

 वो पीछे मुड़ी, कुछ देर तक साहिल की तरफ देखती रही, फिर बोली, ‘प्रीति’ ... .... प्रीति नाम है मेरा, लेकिन प्यार से लोग मुझे मुन्नी बोलते हैं। 

“तब तो आप प्रीति का अर्थ भी समझती होंगी।” साहिल झटके से बोला।

वो साहिल की बात सुनकर अपने चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लाकर बोली, “आपको मेरे नाम से क्या मतलब .... ? ..... नाम के अर्थ से आपको क्या लेना-देना।” साहिल हिम्मत जुटाकर फिर बोला, “जी मेरा कोई दोस्त नहीं है, और मै चाहता हूँ, कि आपसे मेरी दोस्ती हो जाए...... अगर आप हाँ कर दे तो मुझसे बड़ा खुशनसीब कोई नहीं होगा।”

 प्रीति मुस्कुराते हुए बोली, “अगर ना कर दूँ तो ... ?” 

साहिल तपाक से बोला, “तो मेरी जान ही चली जाएगी।”

साहिल के चेहरे के दुःख के भाव को पढ़कर प्रीति बोली “नहीं..... तुम नाराज मत हो, मुझे तुम्हारा ऑफर मंजूर है।”

इतना सुनते ही साहिल ख़ुशी से उछल पडा, “सचमुच मेरे जैसा खुशनसीब इंसान इस दुनिया में कोई नहीं है।”

साहिल की बात सुनकर प्रीति भी बोली, “तुम्हारे जैसा खुबसूरत दोस्त पाना मै भी अपना नसीब ही समझती हूँ।”

साहिल इतना अच्छा मौक़ा गंवाना नहीं चाहता था, वो प्रीति से बोला, “आज मेरे जीवन का ख़ास दिन है, हम दोनों चलकर कही बैठते हैं।”

साहिल की बात सुन प्रीति बोली, “हमारे लिए भी ये दिन काफी अहम है।... मै तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।”

 साहिल और प्रीति बगल के रेस्तरा में चले गए, कॉफ़ी का दौर चला। साहिल कॉफ़ी की चुस्की लेते हुए बोला, “प्रीति जी आपकी तारीफ़ .. ?” 

प्रीति बोली, “मेरे परिवार में मेरी मम्मी पापा और हम तीन बहने और दो भाई हैं। ....... मै अपने भाई बहन में सबसे बड़ी हूँ। ....... मेरा इंटर का फाइनल है।”

 “फिर उसने साहिल से उसके बारे में पूछा, आपकी तारीफ़ ... ?”

साहिल बोला, “आज अगर बता दूँ तो मिलने का कौन सा बहाना मिलेगा ...... किसी और दिन के लिए रहने दो, बता दूंगा।”

कॉफ़ी ख़त्म हो गई थी, प्रीति जाने के लिए खड़ी हो गई थी। साहिल भी अपनी कार की तरफ बढ़ने लगा। प्रीति साहिल के पीछे-पीछे आ रही थी, साहिल अपनी कार में बैठते हुए बोला, चलो घर तक छोड़ दूँ।

प्रीति बेहिचक कार में बैठ गई। साहिल ने उसके घर के पास कार रोकी प्रीति साहिल से पुनः मिलने का वादा करके अपने घर चली गई। साहिल भी घर वापस आ गया। 

आज उसे अजीब तरह का एहसास हो रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में ये जीवन इतना प्यारा कैसे लगने लगा। कल तक यह जिंदगी उचट, उबाऊ लग रही थी। अपने जीवन से तो वह पहली बार इतना आनंदित हो रहा था।

दो दिन हो गए घर में साहिल का मन नहीं लग रहा था। एक अजीब तरह की उलझन में साहिल फंसा हुआ था, वो क्या करे......क्या न करे..... ? उसे कुछ भी समझ में नहीं आता था। उसके बिना एक पल भी गुजारना साहिल को अच्छा नहीं लग रहा था। वो बड़ी उलझन में था। विचारों का मंथन लगातार चल रहा था। अंततः वो अंजू के घर की तरफ चल पडा, लेकिन अंजू घर पर नहीं थी। उसने अंजू की माँ से पूछा कि “अंजू कहाँ गई है ?” 

माँ ने बताया, “वो अपनी सहेली प्रीति के घर गई है।”

 प्रीति का नाम सुनते ही साहिल के सारे जिस्म में एक अजीब तरह की सिहरन महसूस हुई। साहिल अपने आपको संतुलित करता हुआ बोला, “ठीक है आंटी, मै घर चलता हूँ, ..... वो आए तो बोल दीजिएगा कि साहिल आया था।”

“कोई काम है बेटा ....?”

अंजू की माँ ने पूछा। “हाँ आंटी उससे एक किताब लेनी थी।”

“ठीक है मै कह दूंगी।”

 साहिल घर लौट आया, घर में अंजू पहले से ही आई हुई थी। साहिल ने हैरानी से पूछा, “अंजू तुम मेरे घर.... ?..... मै अभी-अभी तुम्हारे ही घर से आ रहा हूँ।... मुझे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है।” 

अंजू बोली, “प्रीति के घर से बाहर ही बाहर आ रही हूँ।” 

 साहिल अंजू की बात पूरी सुने बिना ही बीच में बोल पडा, “क्या कोई पत्र दिया है ?”

“हाँ.... एक बंद लिफाफा दिया है, ..... ये क्या है मुझे नहीं पता” ये कहते हुए उसने एक लिफाफा साहिल के हाथ में थमा दिया।

साहिल ने कसकर उसे मुट्ठी में बंद कर लिया। अंजू अपने घर चली गई। साहिल अपने कमरे में आकर पत्र खोला। उसमें लिखा था,

 डियर साहिल....! 

आई लव यू... तुम मेरी पहली नजर का प्यार हो, मैंने जब से तुम्हें देखा है, न रात की नींद है न दिन का चैन है। हर वक्त तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ। तुम मेरे जीवन का किनारा बनते जा रहे हो। लगता है तुम्हारे बगैर मेरी जीवन नैया बीच मंझधार में फंस गई है। तुम मुझे उसी रेस्टोरेंट में सोमवार को दो बजे मिलो। मै वहां तुम्हारा इन्तजार करुँगी। 

प्रीति .......

साहिल पत्र को पढ़कर प्रेम की दुनिया में तैरने लगा। सोमवार को ठीक दो बजे साहिल रेस्टोरेंट में पहुंचा। वहाँ कोई नहीं था। साहिल को आश्चर्य हुआ। वो सोचने लगा की बुलाकर आई क्यों नहीं। कही अप्रैल फुल तो नहीं बना रही है। उसने अपने दिमाग पर जोर डाला नहीं आज तो पांच तारीख है। एक-एक पल साहिल का एक-एक युग लग रहा था। इम्तजार की घडी काफी कठिन होती है। साहिल की नजरे उसे चारो तरफ ढूंढ रही थी। कहीं से भी वो आ जाए और अपने रूप से साहिल को सराबोर कर दे। साहिल की धड़कन तेज हो गई थी। घडी की सुई अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी। साहिल का बस चलता तो वो समय को रोक देता। मगर अफ़सोस ये नामुमकिन था। लगभग एक घंटे देर से वो पहुंची, आते ही साहिल से बोली, “आई एम सॉरी।” 

साहिल बनावटी गुस्से से बोला, इतनी जल्दी क्यों आ गई ? ... कोई बात नहीं तड़प में भी अपना एक मजा है। तड़पने वालो को पता चलता है कि एक-एक पल कैसे गुजरता है।”

प्रीति साहिल को खुश करने के लिए बोली, साहिल आज तड़पाने के लिए नहीं बल्कि तड़प दूर करने के लिए यहाँ आई हूँ। आज मै फ्री हूँ जितनी बाते करनी हो करो। मै तैयार हूँ।

साहिल ने हैरानी से पूछा ! सच..... ?

हाँ मै झूठ नहीं बोलती। प्रीति इत्मिनान से बोली।साहिल ने पूछा, घर पर कोई नहीं है क्या .... ? प्रीति बोली सब रिश्तेदारी में शादी अटैंड करने गए हैं घर में मै और दादी ही है बस। साहिल बोला चलो अच्छा है। बेयरा साहिल और प्रीति के टेबल के पास आ गया।साहिल ने प्रीति से पूछा, “क्या चलेगा ठंढा या गर्म ?”

प्रीति बोली, “गर्मी बहुत है ठंढा ही चलेगा।” साहिल ने ठंढे का आर्डर दे दिया। बातों का सिलसिला जारी हुआ। प्रीति ने साहिल से पूछा, “तुम्हारे शौक क्या-क्या हैं .... ?

साहिल बोला, “अच्छी-अच्छी कवितायेँ सुनना।”

 “कविता....!”

प्रीति आश्चर्य से बोली। “हाँ .... प्रेम भरी कविता मुझे बेहद पसंद है।”

साहिल बोला, “प्रीति ने कहा तो फिर एक अच्छी सी कविता हो जाए।”

 “हाँ... क्यों नहीं ....।”

प्रीति साहिल के द्वारा सुनाई गई कविता पर काफी खुश हुई, बोली, “काफी अच्छी कविता है, वैसे क्या मैं पूछ सकती हूँ की ये आलोक कौन है... क्या हम दोनों को मदद करेगा ?”साहिल बोला, “आलोक मेरा सबसे अच्छा और विश्वासी दोस्त है .... दोस्ती इंटर में पढने के दौरान हुई। वो मेरा सहपाठी भी है। आजकल वो इंजीनियरिंग कर रहा है और मै एम.बी.ए. ..... तुम्हारी भी दोस्त होंगी ?”

“हाँ....अंजू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है और अब तुम।

 साहिल बोला, “नहीं मै दोस्त नहीं हूँ, दोस्त से आगे भी कुछ हूँ।”

प्रीति मुस्कुराते हुए बोली, “वो तो तुम धीरे-धीरे हो रहे हो। साहिल ने कलाई पर बंधी घडी पर नजर टिकाई और आश्चर्य से बोल पड़ा, अरे चार बज रहे हैं, पता ही नहीं चला, अब चलना चाहिए।”

प्रीति बोली, “हाँ वैसे तुम चाहो तो मै अभी और बैठ सकती हूँ।”

साहिल बोला, “नहीं....। अगले दिन के लिए कुछ शेष रहे तो अच्छा है। नहीं तो कोई बहाना नहीं बचेगा....फिर मिलने का।”

प्रीति मंद-मंद मुस्कुराते हुए बोली। जनाब बहाना निकालना पड़ता है, बहाना ही बहाना है। साहिल परसों मेरा जन्मदिन है और तुम आमंत्रित हो। वहां मेरे घर के सबलोग उपस्थित रहेंगे, वहां तुम्हारा परिचय मै सबसे करवाउंगी। फिर दोनों अपने-अपने घर की तरफ रवाना हो गए।

        ............

  सारा घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। एक टेबल पर आश्चर्यजनक केक रखा हुआ था। लड़कियों का जमावड़ा भी खूब था। संगीत की धुन से सारा घर गूंज रहा था। नौकर खाना खिलाने के लिए अलग-अलग टेबल लगा रहे थे। सब अपने ख़ास दोस्तों से बात करने में मशगुल थे। साहिल अकेला एक तरफ खडा था। साहिल की नजरे प्रीति को ढूंढ रही थी। साहिल मन ही मन सोच रहा था कि कहाँ है वो ... ? कब आएगी ... ? उसके घर वाले भी कहीं नजर नहीं आ रहे थे, कितने बड़े आदमी की बेटी है प्रीति, जन्म दिन इतने धूम-धाम से मना रहे हैं तो ये शादी कितना धूम-धाम से करते होंगे। कई तरह के सवाल साहिल के दिमाग में चल रहे थे। साहिल को घबराहट हो रही थी। साहिल एक हाथ में मजबूती से गिफ्ट पकडे खडा था। वो सोच रहा था गिफ्ट उसके हाथो में देगा। 

कुछ देर के बाद एक खुबसूरत परी घर से बाहर निकली। गजब की सजी हुई थी वो, आँखें चौंधिया जाती। प्रीति के पीछे उसके घर वाले थे। तारों की भीड़ में प्रीति रूपी चाँद केक के पास बढ़ रही थी। किसी ने साहिल को पीछे से धक्का दिया, साहिल ने पीछे मुड़कर देखा तो अंजू उसके पीछे खड़ी थी। वो मुस्कुराते हुए बोली, “आप प्रीति को ऐसे निहारा रहे हैं जैसे चाँद को कोई चकोर। जब शादी करके मेरी सहेली को घर ले जाओगे तो लगता है घर से बाहर भी नहीं निकलोगे।”“अंजू......! चलो पास चलें मैडम केक काटेगी।” ये कहते हुए साहिल अंजू के साथ टेबल के पास चला गया। प्रीति की नजर साहिल पर पड़ी। प्रीति ने जलती हुई मोमबत्ती को फूंक मार बुझाया, और केक काटकर अपने मम्मी पापा को खिलाया। फिर सबको बारी-बारी केक बांटने लगी। साहिल भी अपने नंबर का इन्तेजार बड़ी बेसब्री से कर रहा था। उसने साहिल को भी केक खिलाया, उसके अंगो से भीनी-भीनी खुशबु से साहिल मुग्ध हो गया था।

“कहाँ खो गए हैं जनाब .... ?” प्रीति की इस सुरीली आवाज से साहिल विचलित हो गया। “ क ...क... कहीं नहीं।”  

     साहिल अचकचाते हुए बोला। “पार्टी जब पूरी तरह ख़त्म हो गई तो प्रीति साहिल के पास आई, और उसका परिचय अपने माता-पिता से करवाया। साहिल ने उनके पैर छुए, हाथ में पकड़े गिफ्ट को प्रीति को थमाया।उसके पिता जी ने पूछा, “साहिल बेटा तुम क्या कर रहे हो .... ?”

    साहिल बोला, “अंकल मेरा एम.बी.ए. लास्ट ईयर है।....मेरा प्लेसमेंट दिल्ली में हो गया है। साहिल के प्लेसमेंट को सुनकर प्रीति के पिता जी ने साहिल की पीठ थपथपाई।         साहिल ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था। प्रीति देख रही थी। 

   साहिल प्रीति और उसके माता पिता से इजाजत लेकर घर वापस आ गया।

साहिल के घर वालों को प्रीति के बारे में कुछ भी पता नहीं था। साहिल ये सोचकर डर जाता कि घर वाले उसके प्यार को नजर अंदाज न कर दें। घर में इकलौती भाभी ही ऐसी थी, जिनसे अपने दिल की बात कह सकता था। एक दिन साहिल ने हिम्मत करके अपनी साड़ी राम कहानी भाभी को सूना दी, और भाभी से मदद मांगी। भाभी ने अपने चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लाने के बाद हामी भर ली।

साहिल अंजू से बोला, “अंजू तुम प्रीति को लेकर मेरे घर आ जाओ।” 

  अंजू बोली, “ठीक है। मै उससे कहूँगी... अगर वो आने को तैयार हुई तो मै उसे जरुर लेकर आउंगी।”

इतवार का दिन था, कॉलेज की छुट्टी थी। दोपहर के दो बजे थे। धुप बहुत तेज थी मानो आसमान आग बरसा रहा हो और हवा के थपेड़े मुंह जला देने की क्षमता रखते हों। साहिल छत पर खड़े होकर अपनी भाभी से बातें कर रहा था। सड़कें पूरी तरह से खामोश थीं। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। अचानक साहिल की नजर दो लड़कियों पर पड़ी। वो अपनी भाभी से बोला, भाभी ! वो जो दो लडकियां आ रही हैं वो जरुर अपने प्रेमी से मिलने आ रही होंगी। वरना कौन इस आग बरसाती धुप में बाहर निकलने की जुर्रत करता, और तो और न छाता न तौलिया।”|

भाभी बोली, “दीवानगी होती ही ऐसी है। कुछ भी नहीं सूझता, अपना ख्याल नहीं रहता। शारीरिक कष्ट समझ में नहीं आता, बस उसे केवल फ़िक्र होती है अपने प्यार से मिलने की। .....बड़े अजीब किस्म का होता है ये प्यार। ....ये एक अबूझ पहेली है। इसे बुझना टेढ़ी खीर ही नहीं नामुमकिन है। संत महात्मा जो भी हो जिसने भी प्रेम को परिभाषित करने की कोशिश की, वो आधी अधूरी ही परिभाषित कर सका।... पूरी नहीं।”

साहिल उन लड़कियों की तरफ नजर टिकाए हुए था। जब वो लडकियां बिल्कुल करीब आ गई, चेहरा स्पष्ट पहचान में आने लगा था। साहिल के मुंह से एकाएक चीख निकली। भाभी ये तो अंजू और प्रीति हैं।

भाभी मुंह बंद करके जोर से हंसने लगी। साहिल नीचे आ गया, उन दोनों को रिसीव करने के लिए। प्रीति और अंजू का मुंह पसीने से लाल हो रहा था। साहिल बोला, “ अंजू तुम प्रीति को लेकर बाथरूम में चली जाओ, तुम दोनों फ्रेश हो लो।”

अंजू और प्रीति बाथरूम में चली गई। साहिल ने भाभी से चाय बनाने को कहा, और खुद अपने कमरे का बिखरे हुए सामान को ठीक करने में लग गया।

अंजू और प्रीति मुंह हाथ कर आ गयीं। और इतने में भाभी भी चाय लेकर आ गयी। साहिल बोला, “अंजू आज गजब का संयोग है, घर मै और सिर्फ भाभी है, तुम तुम दोनों आ गई हो तो टाइम अच्छा पास हो जाएगा।”

    प्रीति बोली, “मै समय खराब करने यहाँ नहीं हूँ,....तुम्हें सरप्राइज देने आई हूँ।”

“सरप्राइज....! “ साहिल ने हैरानी से पूछा।

     “हाँ इससे बड़ा सरप्राइज क्या हो सकता है कि इस चिलचिलाती धुप में कोई भी चलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है उसमें हमदोनों यहाँ आए हैं।” प्रीति बोली।

भाभी चाय लेकर काफी देर से कड़ी थी, चाय रखते हुए बोली, “साहिल कुछ ठंडा मंगाओ इस गर्मी में गर्म पिलाकर और पसीना निकलवाने का विचार है।” 

  साहिल ठंडा लेने चला गया। 

   भाभी, प्रीति और अंजू को चाय थमाते हुए बोली। प्रीति जी साहिल आपको बहुत चाहता है। जान से ज्यादा।

भाभी की बात सुनकर प्रीति बोली, “भाभी वन साइड थोड़े ही कोई इतना चाहने लगेगा। मै भी उतना ही चाहती हूँ, जितना वो मुझे चाहता है।”

    अंजू मूकदर्शक बनी हुई थी। साहिल ठंडा लेकर आ गया। सबके चाय की प्याली ख़त्म हो गयी थी। साहिल फ़टाफ़ट ठंडा खोलने लगा था, तभी प्रीति साहिल के हाथ को पकड़ते हुए बोली, “मै यहाँ कुछ पीने नहीं आई हूँ, तुम कुछ बातें करो, वैसे गरम चीज पीकर ठंडा नहीं पीया जाता है। साहिल अपलक प्रीति को निहारने लगा। प्रीति झेप गयी, “ऐसे क्या देख रहे हो।”

साहिल बोला, “तुमने आकर मुझ पर जो एहसान किया है ....तुम नहीं जानती, अगर तुम नहीं आती तो मै तड़पता रहता।” 

       “अगर ये बात है तो मै अगली बार नहीं आउंगी,... क्योंकि तड़पाने का अपना अलग ही मजा है।”

 साहिल भी चिढ़ते हुए बोला, “;अच्छा तो फिर समझ लो मुझे भी तड़पाना आता है।”

प्रीति बोली, “अब मुझे चलना चाहिए। मै तुम्हारी बात को रखने के लिए यहाँ आ गयी थी। यहाँ भाभी से मुलाक़ात हो गई।..एक बात कहूँ तुम्हारी भाभी बहुत अच्छी हैं।”

साहिल बोला, “हाँ वो तो हैं, लेकिन तुम तो अभी आई हो और अभी जाने के लिए बोल रही हो।” 

    प्रीति बोली, “तुम हमेशा के लिए मुझे घर तो लाओ, फिर मै कभी नहीं जाउंगी छोड़कर.... वादा करती हूँ।”

प्रीति की भावुकता पढ़ते हुए साहिल ने प्रीति को ढाढस बंधाया, सिर्फ तुम मुझे हरी झण्डी दे दो,...देखो मै क्या करता हूँ ?.,... प्रीति तुम्हारे प्यार ने मुझे काफी मजबूत बना दिया है। मुझसे तुम्हारे खातिर दुनिया से लड़ने की क्षमता आ गयी है। प्रीति और अंजू चली गयी। साहिल ओझल होने तक प्रीति को अपलक निहारता रहा।

मोबाइल बज रहा था,साहिल बाथरूम में नहा रहा था। वो बाथरूम में से आवाज लगा रहा था, “भाभी मोबाइल रिसिव करिए।”

भाभी मोबाइल रिसिव की और वही से साहिल को आवाज दी। “ साहिल आलोक का कॉल है।” साहिल बाथरूम से जल्दी बाहर निकला और आलोक से बात करने लगा,     “आलोक, कैसे कैसे हो ?”

   आलोक बोला, “आई एम राईट, एंड हाऊ आर यू.. ?” 

      साहिल बोला, “मै भी ठीक हूँ.... बोलो तुमने मुझे कैसे याद किया ?”

       “मेरी बात ध्यान से सुनो।”

       “ हाँ ! बोल क्या बात है ?” 

   “यार तुम्हारी कंपनी में ज्वाइन करने की आखिरी तारीख 25 जून है जल्दी से आकर ज्वाइन कर लो, वरना गड़बड़ हो सकती है।”

साहिल बोला, “इस खुशखबरी के लिए धन्यवाद।....मै आज ही अपना रिजर्वेशन करवा लेता हूँ... चल अब कॉल कट कर ...मै ये खुशखबरी किसी और को देता हूँ।”

आलोक कॉल कट कर दिया, साहिल उसी समय कपड़े पहनकर अंजू के घर गया और अंजू से बोला, “अंजू मेरा एक काम करो…तुम प्रीति को अपने घर बुलाओ मुझे कुछ बात करनी है।” 

    अंजू बोली, “तुम मुझे बताओ, मै उससे कह दूंगी।”

साहिल बोला, “प्लीज अंजू, उसे बुला देती तो अच्छा होता।” 

   अंजू बोली “ठीक है, यही रहो मै अभी गयी और अभी आई।” 

   अंजू चली गई। साहिल वहीँ बैठकर इम्तजार करने लगा। कुछ देर बाद अंजू आई। बोली, “वो अभी नहीं आ सकती। कुछ मेहमान उसके घर आए हुए हैं। एक घंटे बाद वो मेरे घर आएगी।”

   साहिल ने पूछा “कौन से मेहमान हैं ?”

अंजू बोली, “ये मुझे नहीं पता।... लेकिन इतना जरुर पता है कि कोई ख़ास मेहमान हैं सारा घर व्यस्त था।” 

    साहिल बोला, “ठीक है मै रिजर्वेशन कराने जा रहा हूँ, एक घंटे बाद मै तुम्हारे घर आउंगा। ये कहकर साहिल चला गया। रिजर्वेशन काउंटर पर काफी लम्बी लाइन लगी हुई थी। साहिल पीछे खड़ा हो गया। अनुमान लगाया किसी भी हालत में उसका रिजर्वेशन एक घंटे में नहीं हो सकता। अंततः एक घंटे के बाद बिना रिजर्वेशन कराए अंजू के घर चला गया। प्रीति आ गई थी। साहिल अपनी परेशानी बयान करने लगा। फिर साहिल खुश होते हुए अपनी नौकरी के बारे में बताने लगा। और वादा किया कि अब मै तुम्हे जल्द से जल्द अपना बना लूंगा। अब मुझे कोई डर नहीं है। हर संभव कोशिश करूंगा जल्दी आने की, तैयारी रखना पूरी तरह से।प्रीति ने कुछ जवाब दिए बिना ही, ‘हाँ’ में सिर हिला दिया। 

 साहिल बोला, “तुम शरमा रही हो, वैसे... इंसान के लिए इशारा ही काफी है। मै तुम्हारी मौन स्वीकृति को समझ गया हूँ।” 

 प्रीति घर चली गई, साहिल घर आकर अपने जाने की तैयारी में जुट गया। रिजर्वेशन नहीं मिला था। लेकिन जनरल में जाने से उसे परेशानी होगी, इस बात से वो बिलकुल बेफिक्र था। प्रीति की याद जो उसके साथ है। अगले दिन साहिल ट्रेन पकड़कर चला गया। साहिल काफी खुश था उसे एक महीने की छुट्टी ज्वाइन करने के दो दिन बाद ही मिल गई थी। वो एक दिन भी समय जाया न कर छुट्टी मिलने के कुछ ही घंटे बाद अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ने स्टेशन पहुँच गया। मन में अनेकों सपने लिए हुए प्रीति के बारे में सोचते हुए रेत का महल बनाते हुए घर लौटा। घर के सब लोग खुश थे। साहिल काफी खुश था, अब उसे दो-दो ख़ुशी मिलने वाली थी, वो प्रीति से शादी करना चाहता था। साहिल फ़ौरन अंजू के घर गया। अंजू घर में ही थी। साहिल ने सबको खुशखबरी सुनाई, तभी अंजू साहिल के हाथो में एक कागज़ थमाते हुए बोली। प्रीति अमेरिका गई है, अंजू का चेहरा उदास था। साहिल ने हैरान होकर वो कागज़ खोला। उसमें लिखा था। साहिल मेरी शादी ठीक हो गई है। जिस दिन तुम मुझे अंजू के घर मिलने आए थे। मुझे पसंद कर लिया। मैंने भी लड़के को देखा, काफी खुबसूरत और स्मार्ट और पैसे वाला है। अमेरिका में नौकरी करता है। वो मेरे ही मजहब को मानता है। अपनी जाति का है। मै उसे पाकर खुश हूँ। बहुत खुश हूँ। तुम मुझे भूल जाना, गलती के लिए क्षमा चाहती हूँ। तुम्हें बहुत लड़किया मिलेगी, मुझसे भी अच्छी।....अब मै पत्र लिखना बंद करती हूँ, अलविदा दोस्त|    साहिल पत्र पढ़कर रो पडा। वो मन ही मन बोल उठा, प्रीति मैंने तुम्हे जाति धर्म, धन, दौलत से ऊपर उठकर प्यार किया था। मेरी नजर में प्यार के परे है ये सब, लेकिन तुमने मेरे प्यार का अच्छा सिला दिया, जाओ मेरे बेवफा सनम खुश रहो।

साहिल को समझ नहीं आ रहा था कि वो नौकरी पाने की ख़ुशी मनाए या प्यार खोने का गम। साहिल त्रिशंकु बन गया था।

  


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