अभिशप्त
अभिशप्त
"ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा गर्भवती, स्कूल के प्रिंसिपल पर लगा शोषण का आरोप।"
सुबह सुबह घर के दरवाजे पर पड़े अखबार को पढ़कर जैसे वो सहम गया, वह भी एक अध्यापक था।
उसने जल्दी से मुख्य पृष्ठ निकाल कर लपेटा और अपनी जेब मे रख लिया, घर में कही बेटी न पढ़ ले। स्कूल पहुंचकर भी उसने सारे अखबार साथी अध्यापकों की सहमति से दफ्तर में रख लिए। आज स्कूल लाइब्रेरी और प्रार्थना सभा मे भी कोई अखबार पढ़ने के लिए नहीं भेजा गया। टीवी, फेसबुक, व्हाटसअप और अन्य सोशल साइट्स पर भी इस खबर को लेकर अध्यापक वर्ग पर खूब लांछन लगाए जा रहे थे।
चाहे स्कूल के बच्चों के बीच इस खबर की जानकारी नही फैली थी फिर भी वो न जाने क्यों आज बहुत भयभीत था, उसके व्यक्तित्व का कोई टुकड़ा बिखर गया था। खुद को शापित महसूस करता वह अपराध बोध से पीड़ित था।