Harish Sharma

Drama Tragedy Children

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Harish Sharma

Drama Tragedy Children

अपने अपने आसमान

अपने अपने आसमान

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आज एक अजीब घटना देखने में आई। हमारे एक मित्र मुख्य राज्य मार्ग से से कटे एक देहाती गाँव के स्कूल में पढ़ाने जाते है। सुबह ही स्कूल खुलते प्राइमरी कक्षा से एक नन्ही बच्ची एक फोटो उठाये घूम रही थी और सभी अध्यापकों तथा कर्मचारियों को उसे दिखा रही थी। वः सबसे कहती "देखो ये मेरे छोटे भाई की तस्वीर है, ये हफ्ता पहले पैदा हुआ है। "

उसकी बात सुनकर सब मुस्कुरा देते और कहते, "बहुत सुंदर है।"

मेरे मित्र ने भी तस्वीर देखी, नवजात शिशु वाकई सुंदर था।

हमारे यहाँ लड़का होने पर सब परिचितों और रिश्तेदारों को सूचना दी ही जाती है, घर के बाहर नीम और खिलौनों का बन्दनवार बाँधा जाता है। पर ये एक अलग बात लगी उसे। कोई इस तरह नवजात शिशु की तस्वीर लिए सबको तो नहीं दिखता। उसे लगा जैसे बच्चे के जन्म की सूचना किसी वस्तू का विज्ञापन हो।

इस दृश्य और सोच में उलझा वो जिज्ञासु हो उठा और उसने उस बच्ची को प्यार से पास बुला कर पुछा, "बेटा, तेरा भाई बहुत सुन्दर आयर प्यारा है। ये तस्वीर तुम्हे किसने दी। स्कूल में बच्चे इसे ख़राब न कर दें। "

"ये तस्वीर मेरी माँ ने मुझे स्कूल लाने को दी है, उसी ने कहा है कि सभी स्कूल के बच्चों और अध्यापकों को इसे दिखाए और बताये कि घर में बेटा पैदा हुआ है , जब लोहड़ी आएगी तो हम भी सबको घर बुलायेंगे। " उसने बड़ी मासूमियत से कहा।

मित्र की जिज्ञासा अब भी शांत नहीं हुई। उसके मन में यह प्रश्न बार उठता रहा कि इस प्रचार का मकसद क्या है , क्या गरीबी के कारण किसी प्रकार की मदद इस फोटो के जरिये मांगी जा रही है , कोई क्यों भला इस प्रकार घर में पैदा हुए बच्चे की तस्वीर का प्रदर्शन करेगा।

स्कूल के ही सेवादार जो उसी गाँव का था उससे उसने पूछने का प्रयास किया। उसने बताया, "इनके घर में किसी वस्तु की कमी नहीं है, असल में बच्चा पैदा होने का उत्साह है। अब आप ही सोचिये चार लड़कियों के बाद जाकर जब लड़का पैदा हो तो ये कोई छोटी बात है। इनके मोहल्ले में हर बार खूब धूम धाम से लड़के की लोहड़ी मनाई जाती थी। ये बेचारे हर बार लड़की होने से दुखी थे। वो बेचारी औरत की बड़ी दुर्दशा थी। घर में किसी को फूटी आँख न सुहाती। नौकरों की तरह काम लिया जाता था। कई बार तो मायके से उसे लेने न जाते। कितनी बार पंचायत हो चुकी। गाँव की औरतो को तो आप जानते ही है, मर्दों से ज्यादा तानेबाज है। बेचारी का घर से निकलना दूभर कर दिया था। अब कही जाकर भगवान ने लड़का दिया है। माँ को जैसे जीवनदान मिल गया हो। उसका घर टूटने से बच गया , इसलिए वो पागलों की तरह पूरे गाँव को बताना चाहती है कि अब वो भी एक लड़के की माँ है। इन बच्चियों को देखिये, कितनी उत्साहित है। न जाने कितनी गालियाँ और ताने इन्हें सुनने पड़ते थे। "

मित्र की बात सुनकर मै भावुक था और मेर जिहन में एक माँ और उसकी चार बेटियों का मुस्कुराता हुआ चेहरा था। अचानक मै भी मुस्कुरा उठा। मुझे जाने क्यों दुःख के साथ साथ एक संतोष का अनुभव हुआ।



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