Harish Sharma

Tragedy

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Harish Sharma

Tragedy

परमिशन

परमिशन

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सुबह सुबह वो नई सुविधाओं से सुसज्जित एक बड़े सरकारी हस्पताल के मुख्य द्वार पर पहुंचा । उसे मालूम था कि जल्दी पहुंचकर ही टोकन का अग्रिम नम्बर मिलेगा,वरना भीड़ बहुत हो जाएगी । पहले बड़े इलाज के लिए लोगों को दो सौ किलोमीटर दूर शहर के सबसे बड़े सरकारी हस्पताल जाना पड़ता था । इलाज सस्ता था,आम लोगों की पहुंच में था । पर इमरजेंसी में बड़ी मुश्किल होती । अब पिछले दो साल में सरकार ने यहां एक शाखा उसी बड़े हस्पताल की खोल दी थी ताकि लोगो को सुविधाएं थोड़ा नजदीक मिल सकें और भीड़ भी बंट जाए । हस्पताल का निर्माण तथा करने तथा वहां नर्स, अटेंडेंट आदि सहायक कर्मचारी भर्ती करने का काम एक बड़ी निजी कम्पनी को दिया गया । 

आज मुख्य दरवाजे पर इन सभी कर्मचारियों का धरना लगा हुआ था । उन्हें रेगुलर स्टाफ आने के कारण अचानक एक दिन पहले नौकरी से निकाले जाने का आदेश दे दिया गया । लोग बाग,मरीज और हस्पताल के भीतर जाने वाले कर्मचारी अंदर जाने के लिए लालायित थे । मुख्य द्वार बंद करके उसके आगे बैनर लगा निकाले कर्मचारी अपना रोष प्रकट कर रहे थे । 

आनन फानन में मामला बढ़ता देख पहले निजी कम्पनी के कुछ अधिकारी उन्हें समझाने आये,फिर पुलिस आ गई । 

बहस होने लगी । 

"देखिये इस तरह से रास्ता रोकने का कोई मतलब नहीं,मरीज परेशान हो रहे हैं,इन्हें क्यो रोका जा रहा है ?"

पुलिस अफसर ने चेतावनी देते लहजे में कहा ।

"सर आप हमारी भी परेशानी समझे,पहले वेतन आधा कर दिया,अब एकदम से निकाल दिया । हमारे बच्चे,घर कैसे चलेगे?ये जो सरासर अन्याय हो रहा है,उसे कोई नही पूछ रहा,धरना न दें तो क्या करें?" धरनास्थल से एक प्रदर्शनकारी नर्स ने उठ कर कहा ।

"क़ानून के मुताबिक आपको धरना देने से पहले लोकल प्रशासन को सूचित करना होता है,परमिशन लेनी पड़ती है। कोई परमिशन है आपके पास?"अफसर फिर गरजा । उसके लहजे में कोई नरमी नही थी ।

"क्या ये कानून सिर्फ हम पर ही लागू होगा,आप इन कम्पनी वालो से भी पूछिये कि क्या इन्होंने हमे निकालने से पहले हमें एक महीने पहले कोई नोटिस दिया,हमसे तो किसी ने कुछ नही पूछा !" एक और नर्स ने अपनी आवाज उठाई ।

निजी कम्पनी के अधिकारियों ने मोबाइल पर किसी से बात करनी शुरू कर दी । तभी पुलिस अफसर का फोन बज उठा और उसने आगे किसी को फोन किया । पाँच मिनट में और पुलिस बल आ गया ।

धक्का मुक्की,लाठी चार्ज । 

सभी प्रदर्शनकारी धकेल दिए गए,तितर बितर कर दिए गए । 

परमिशन का वास्तविक अर्थ पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया । धरना अब प्रवेश द्वार के एक कोने में सिमट गया था । हस्पताल में आवागमन शुरू हो गया । लोग बाग फुसफुसा रहे थे कि स्थिति नियंत्रण में कर ली गई है ।



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