अभागा लड़का
अभागा लड़का
शुभा और शुभम ट्रांसफर होकर के नए शहर में पहुंचे।
वहां पर जिस मकान में वह लोग रहने गए उस मकान के अंदर दो सुंदर-सुंदर बालकोनी थी। दूसरे दिन सुबह जैसे ही शुभा ने अपने कमरे का दरवाजा खोला और वह बालकोनी में गई, उसने देखा सामने के मकान में एक लड़का खड़ा है , यही 20 साल का होगा बालकोनी और कमरे की खिड़की की तरफ देखे ही जा रहा है।
वह बहुत अपसेट हो गई और कमरे में आ गई। और सोचने लगी ,यह घूर घूर कर मुझको क्यों देख रहा है ,शायद मैं नयी आई हूं इसलिए। फिर उसने कमरे का दरवाजा और बालकोनी बंद कर दी।
और अपने रोजमर्रा के काम में लग गई।
दूसरे दिन सुबह वापस उसको कुतूहल हुआ और उसने खिड़की और दरवाजा खोला, बालकोनी में गई ,तो वापस वहां पर वह लड़का दिखा, अब तो उसको लगा कि इस लड़के के मन में खोट है। इसीलिए यह मेरे को बराबर घूर रहा है। इसकी तो शिकायत करनी पड़ेगी।
यह सोच अपने पति से कहूं, फिर उसने सोचा क्यों नहीं मैं ही उसके घर जाकर उसके मां-बाप से बात कर लेती हूं ,कि यह मुझको घूर घूर कर के देखता है।
और वह अपना काम करने लगी कॉलोनी में नयी नयी आई थी, इसलिए किसी से कोई पहचान नहीं थी, नीचे सब्जी वाला आया तो सब्जी लेने के लिए उसकी लारी पर गई, तो वहाँ दो चार औरतें और भी खड़ी थी। उनसे हेलो हेलो किया थोड़ी पहचान हो गई ।
एक-दो दिन और जाने दिए रोज वही नजारा होता।
इसी तरह 1 सप्ताह बीत गया।
फिर रविवार के दिन वह अपनी पड़ोसी से मिलकर सामने वाले घर में जाने का प्लान बना रही थी, तो जब वो पड़ोसी से मिलने गई ,और वैसे ही बात बात में उसने उस लड़के की बात निकाली।
तो पड़ोसन ने बताया कि वह लड़का तो देख नहीं सकता है, जन्म से अंधा है और उसको एक ही तरफ देखने की आदत है। जैसे वह शून्य में कुछ ढूंढ रहा हो।
जब शुभा को वस्तुस्थिति का पता लगा, तो उसको अपने आप पर शर्म आई। और बहुत दुख हुआ, कि उसने ऐसा कैसे विचार लिया।
उस अभागे लड़के के लिए और उसके मां बाप के लिए मन में उसके प्रति सहानुभूति जागी।
इस तरह एक बहुत बड़ी गलतफहमी पैदा हुई ,जिसका निकाल हुआ।
अगर वह उसके घर चली जाती, तो बात कितनी बढ़ जाती। यह सोच ,सोच कर के वह काफी दुखी हुई। इसीलिए कहते हैं ,कुछ भी प्रॉब्लम हो पहले उस की गहराई तक जाकर फिर उसका कारण ढूंढने की कोशिश करो। फिर उसका निकाल करो। हल आसानी से मिल जाता है। कमरे की खिड़की भी बालकोनी में ही खुलती थी वह अब खुली रहने लगी थी।
