अब कोई फर्क नहीं पड़ता!!
अब कोई फर्क नहीं पड़ता!!
अकेली फ्लाइट में बैठी रचना उदास मन से एयर हॉस्टेज को अपलक देखती जा रही थी। वो मन ही मन सोच रही थी कि ये लोग क्या खाती होंगी जो इतनी फिट रहती है कि तभी उसको आवाज आई,
"एक्सक्यूज मी, क्या ये पर्स आपका है? तो हटा लीजिये प्लीज, ये मेरी सीट है।"
उदास बैठी रचना एकदम से चीख पड़ी "अरे विद्या बालन जी आप, आई मीन की आप यहाँ मेरे बगल में बैठेंगी।"
विद्या बालन ने मुस्कुराते हुए मजाकिया अंदाज में कहा "हाँ क्यों मैं आपके बगल में नहीं बैठ सकती?"
रचना -"अरे नहीं-नहीं मेरा मतलब की आप तो इतनी बड़ी स्टार हैं तो इसलिए मैंने सोचा।"
उसके बाद दोनों चुपचाप सीट पर बैठ गईं....
थोड़ी देर बाद विद्या बालन ने एक नॉवेल निकाली और पढ़ने लगी....
लेकिन इधर रचना का सारा ध्यान विद्या के ऊपर ही था। दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट में विद्या बालन के साथ सफर रचना के खुशी का ठिकाना नहीं था। रचना कभी चुपके से अपने हाथ में लिए मैगजीन से उनको झांककर देखती तो कभी जब विद्या से नजरें टकरा जाती तो हल्की सी मुस्कान पास करके वापस मैगजीन में चेहरे को छिपा नजरें गड़ा पढ़ने का नाटक करती।
थोड़ी देर बाद बड़ी हिम्मत करके रचना ने कहा "विद्या जी एक सेल्फी लेनी थी।"
विद्या-"जी बिल्कुल ले लीजिए, एक नहीं ग्यारह लीजिए। अपनी फोटो लेने के लिए किसी से परमिशन क्यों लेना?"
रचना हँसते हुए "जी मेरा मतलब था आपके साथ एक सेल्फी लेनी थी।"
विद्या बालन-"ओह्ह! जरूर....."
रचना ने सेल्फी लेकर कहा "विद्या जी मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं। अभी हाल ही में आपकी मूवी शकुंतला देवी और मिशन मंगल के बाद तो पूछिये मत।"
" लेकिन बुरा ना माने आप तो एक बात पूछूँ, थोड़ा पर्सनल था माफ कीजियेगा अगर आपको बुरा लगे तो।"
विद्या बालन- "इसमें बुरा क्या मानना, पूछिए जो पूछना है एक नहीं दो चार पूछ लीजिये, इसी बहाने सफर भी जल्दी कट जाएगा।"
रचना-"दरसअल अधिकतर हीरोइनों को स्लिम-ट्रिम देखा है इसलिए मन में आया कि आपने कभी करीना और प्रियंका चोपड़ा जैसे जीरो फिगर बनाने की कोशिश क्यों नहीं की?"
लोगों को तो स्लिम-ट्रिम लड़कियां ही अधिकतर पसन्द आती है हर जगह स्लिम लड़कियों का ही बोलबाला हैं।
अब अगर मैं अपनी बात करूँ तो मुझे सब बोलते है कितनी मोटी है। क्या खाती है ,बाहर के लोग बोले तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब घर वाले खासकर हसबैंड इस बात को लेकर ताने मारते हैं तो मुझे रोना आ जाता है। और मैं बचपन से ही मोटी हूँ।
वो तो मुझे किसी पार्टी और समारोह में भी साथ नहीं ले जाते....अगर कभी मजबूरी में किसी फैमिली फंक्शन में जाना पड़े तो कहते है तुम आगे चलो। कभी साथ में सेल्फी भी नहीं लेते। अब तो सीधा ही बोलते है देखो कितनी मोटी-भद्दी दिखने लगी हो। 34 में 43 कई दिखती हो...बहुत कोशिश की मैंने दौड़ना, भूखा रहना, ज़ुम्बा, डांस, पतले होने की दवाई तक खा ली थी जिससे मुझे एलर्जी हो गयी थी लेकिन किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ा।
विद्या बालन ने हँसते हुए कहा- ""और कभी कोई फर्क पड़ता भी नहीं.......ना ही हमें पड़ना चाहिए। मुझे भी लोग कहते है लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता... "
क्यों हम महिलाएं बॉडी शेमिंग का शिकार होती है जानती है क्योंकि हम खुद के बारे में ना सोचकर दूसरों के बारे में सोचते हैं। कभी पति, कभी बच्चे, कभी परिवार, कभी समाज ना जाने कौन-कौन और क्या-क्या कहता है। सब सिर्फ हम औरतों के लिए ही....
किसी का सुन्दर होना ना होना, रंग रूप और शरीर पर हमारा कोई जोर नहीं। सब भगवान के हाथ में है। हाँ हमें भगवान ने जैसा बनाया है उसे सम्भालना और संवारकर रखना हमारी जिम्मेदारी है ।
अब बात आप की तो आप पति का साथ क्यों ढूंढती है। अकेली निकल लीजिये दुनिया देखने, शॉपिंग करने, कुछ नहीं तो चौपाटी के गोलगप्पे ही खा आइये। स्वयं को खुद खुश रखिये ,ठीक वैसे ही जैसे परिवार और बच्चों को रखती है। खुद की खुशी का भी ख्याल रखिये। जैसे आज अकेली सफर पर निकली है। ठीक वैसे ही
जानती हैं मुझे सबसे ज्यादा बुरा तब लगता है जब एक औरत ही दूसरी औरत को लेकर ऐसे कटाक्ष करती है मोटी, काली गोरी नाटी लंबी तो दुःख होता है। लेकिन ये सब आदमियों को कोई नहीं कहता ना ही उन लोगों को कोई फर्क पड़ता है। इसलिए अब हम हर किसी की सोच तो नहीं बदल सकते ना, ऐसे में हमें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
और ईश्वर की बनायी तो हर चीज खूबसूरत है बस हमें अपनी आंखों से उस खूबसूरती को देखना होगा। और सबसे पहले खुद खुश रहिए, खुद का ख्याल रखिये, हम खुद तो सब खुश और तभी हम परिवार को और समाज को भी खुश और सकारात्मक रख पाएंगे।
फ्लाइट लैंडिंग का टाइम हो गया मैम सीट बेल्ट लगा लीजिये...जी जरूर देखिये बात करने में हमें पता ही नहीं चला....रचना जी
रचना सीट बेल्ट लगाते हुए-" बिल्कुल सही कहा आपने अब मैं भी इस बात का ध्यान रखूंगी।"
शरीर के साथ-साथ तुम्हारा दिमाग भी मोटा जो गया है। सुबह के नौ बजे गए और तुम अभी तक सो रही हो। तुम्हें पता है कि मुझे आज सुबह की फ्लाइट पकड़नी है दुबई की, फिर भी घोड़े बेचकर सो रही हो....रचना के पति अमन की गुस्से से चीखती आवाज से उसकी नींद खुल गयी।
उसने देखा तो सुबह के नौ बजे गए है अमन तैयार होकर जाने के लिए बैग भी पैक कर चुके है।
ऐसे क्या देख रही हो सुबह से माँ काम कर रही है नाश्ता बनाया, चाय बनाया बच्चे स्कूल गए। उनको स्कूल कैंटीन से बोल दिया खाने के लिए अब माँ की कमर दुख गयी है। मैं जा रहा हूं लेकिन एक बात इतनी देर तक अब मेरे जाने के बाद सोती मत रहना, और सबका अच्छे से ख्याल रखना..... सुन रही हो कि क्या कह रहा हूं मैं या अभी भी नींद में हो।
रचना-"हाँ जाग चुकी हूँ, थैंक यू अमन मुझे जगाने के लिए।"
रचना जानती थी ये सब कुछ उसको गुस्से में सुनाया जा रहा है लेकिन आज के उसके सपने ने उसको वाकई जगा दिया।
उसने अमन से मुस्कुराते हुए कहा "हां अमन सही कह रहे हो बहुत देर कर दी... लेकिन अब नहीं होगा और हाँ सबका ख्याल भी रखूंगी।"
अमन आश्चर्यचकित होकर रचना को देखने लगा क्योंकि हर बार रचना या तो रो देती या गुस्से में जवाब देती लेकिन इस बार जवाब शांति और मुस्कुराहट में था।
तो अमन ने कहा "वाह चलो अच्छा है मोटे दिमाग में थोड़ी अक्ल तो आयी..."
रचना-"हाँ अमन आ गयी मोटे शरीर और दिमाग में अक्ल क्योंकि मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ेगा।" मन ही मन बोलकर रचना रसोई में चली गयी जहाँ बर्तनों का ढेर जमा था।
प्रिय पाठकगण उम्मीद करती हूं कि मेरी नयी कहानी आप सबको पसंद आएगी। किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। कहानी का सार सिर्फ इतना है कि इंसान को तन से ज्यादा मन से सुंदर होना चाहिए। अगर समाज के लिए लड़का कैसा भी हो चलता है तो लड़की के साथ इतने नियम क्यों?