आखरी ख्वाहिश
आखरी ख्वाहिश
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी तनु टूटी फूटी आवाज में बोली..."जय से मिलना है"
तनु का पति ये सुनकर फूट-फूट कर रोने लगा।उसे एहसास हुआ कि सारा जीवन तनु ने उसके साथ बिताया।फिर भी वो उसे इतनी मोहब्त नहीं दे पाया कि वो अपने पहले प्यार जय को भूल पाती।उसने उसे मोहब्बत की ही कब थी?पति,पत्नी का रिश्ता तो बस बच्चों की खुशी और उसकी शारीरिक जरूरतों तक ही सिमटा था।
जय को बुलाया गया।शायद जय भी सारी उम्र प्यार को तरसा था। उस लम्हे में दोनों की रूह की ख्वाहिश पूरी हुई और दोनों एक साथ निकल पड़े अन्नंत यात्रा पर।
पतिदेव ठगे से खड़े रहगये।

