आज भी इंतज़ार है
आज भी इंतज़ार है
बाहर बारिश हो रही थी लेकिन सुधि के अंदर तूफान उठ रहा था। उसके हाथ में अनय का लेटर था। वैसे तो आजकल ऑनलाइन संदेश भेजने का चलन है लेकिन अनय का खत कुछ भावनाओं को समेटे हुए था। सुधि ने खत खोला नही था लेकिन लिफाफे पर लिखी हुई एक पंक्ति ने उसे पूरा खत समझा दिया। वो पंक्ति थी- “आज भी इंतजार है।”
सुधि और अनय की मुलाकात किसी दोस्त की जन्मदिन पार्टी में हुई थी। अनय एक समाज सेवक था और सुधि एक लेखिका जो सामाजिक सरोकारों से जुड़ी कहानियाँ लिख कर अपनी आवाज बुलंद करती थी।
समाज सेवक की परंपरागत छवि से अलग अनय एक मस्तमौला लड़का था जो सुधि को आकर्षित कर गया। फिर दोनों की मुलाकात बढ़ने लगी और प्रेम हुआ।
फिर एक दिन सुधि उससे दूर चली गई। आखिर ईश्वर ने कैंसर जैसी बीमारी का उपहार सुधि को दिया था। उसने अनय से दूर रहने का फैसला किया और अनय ने भी उसके फैसले का सम्मान करते हुए अपनी समाज सेवा का कार्य जारी रखा।
तीन साल बाद आज भी वे दोनों दूर है और लिफाफे के ऊपर लिखी गई वो एक पंक्ति आज भी उनके प्रेम का प्रमाण है और उन्हें आज भी मिलने का इंतजार है।