STORYMIRROR

Tusharika Shukla

Abstract Romance Inspirational

3  

Tusharika Shukla

Abstract Romance Inspirational

24 वां जन्म दिन (बुलबुल)

24 वां जन्म दिन (बुलबुल)

4 mins
168

24 वां जन्मदिन


जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितम्बर अकटूबर नवम्बर एक दो तीन उन्नीस बीस इक्कीस और......22दिसंबर


कुछ ऐसे उंगलियों पर गिना करती थी मै मेरे जन्म दिन को मेरे जन्म दिन के बीतते ही ...

मैं birthday के ठीक एक महीने पहले से पूरा बजार छान कर एक सुंदर सी ड्रेस खरीद कर रख लेती थी जिसे रोज देखती निहारती खुद को उस में राजकुमारी की तरह लगता देख खुशी की बुदबुदाहट और पेट में तितलियों वाली खुशी को महसूस करती और रख देती तह कर के अलमारी में संभाल कर ... और इंतजार करती एक एक दिन गुजरने का...ठीक एक दिन पहले बड़ा सा टॉफी का डिब्बा ला कर हजारों दफा वो चालीस टॉफी को गिन रख देती..नींद ही नहीं आती थी रात भर बस करवटें बदल कर इंतजार करती थी सूरज दादा के आने का ..वो ज़िन्दगी का पहला इंतजार था जो इतनी शिद्दत से किया करती थी खेर अब तो मानो मैं प्रो हो चुकी हूँ ... अगले दिन स्कूल में सेलेब्रिटी की तरह जा स्टेज पर इतराने का एक ही तो मौका मिलता था माइक पे बोलने से पैर आवाज लड़खड़ाने से लेकर दोस्त के साथ हर क्लास में जा इतराने का अलग टसन था .....वक़्त गुजरता गया और बचपन के साथ बचपना भी जाता रहा पर मेरा Birthday को लेकर जो पागलपन है वो तो कभी गया ही नहीं ...मुझे लगता रहा सब बड़े हो गए है पर मै तो आज भी वैसी ही हूं क्या मैं गलत हूं? ये ख्याल मुझे दिन में हजारों बार आ जायाकरता है..पर मै खुद को कहती यार बुलबुल ....


बर्थडे किसी का भी हो खुशी और एक्साइटमेंट मेरा गला पकड़ती है...मुझे तो बताने में भी हिचकिचाहट होती है कि अपने जन्म दिन पर सजावट भी मैं खुद ही करती हूं.....आज भी ...बचपन की तरह...


मैंने न बहुत लोगों को बड़े होते हुए देखा जिन्होंने मुझे कहा कि उनका बचपना ख़तम हो चुका है अब जन्म दिन के शौक नहीं रहे...

पर मुझे ये तर्क कभी समझ नहीं आए की ये तय किसने किया कि अपने जन्म दिन पर खुद को खुश रखना सबको खुश रखना एक बचपना है?


पहले मुझे ये बताते हुए हिचकिचाहट होती थी कि हा भाई अपने बर्थडे पर सजा भी मै खुद ही लेती हूं...क्युकी मैंने देखा था लोगो को जज करते हुए...पर...

यार मुझे बहुत पसन्द है एक रंग के गुब्बारे मेरे चारों ओर .. एक खूबसूरत सी ड्रेस जिस में मै कोई सुन्दर कहानी की प्रिंसेस दिखूं.... स्लो रोमेंटिक गाने और गजले ..हलकी हलकी टिमटिमाती लाइट और हलकी ठंडी हवा जो मेरे चेहरे से निकल कर कही दूर जा रही हो...उन रोमेंटिक गानों में खोई हुई मै कर सामने मोमोज की एक प्लेट बस इतना ही तो है जो मुझे जीते जी स्वर्ग पहुंचा देगा...ये सब भी मैं खुद ही कर लेती हूं ....क्युकी मुझे लगता है न यार ...मुझे किस चीज़ में खुशी मिलती है ..मेरा सुकून क्या है ..ये मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता और फिर साल के 364 दिन हम दूसरो को ही खुश करने में लगे हुए है ...तो उस एक दिन जिस दिन ईश्वर ने तुम्हे ये खूबसूरत सा जीवन दिया उस दिन का शुक्रिया करे इस दिन को साल का ज़िन्दगी का सबसे यादगार दिन बना ले बजाए लोगो को ये दिखाने के की हम तो बड़े हो गए है...यकीन मानिए आप बड़े हो आप बच्चे हो आप बूढ़े हो दुनिया बस कहेगी और कहती रहेगी जब तक दुनिया की सुनोगी तब तक खुद के दिल की आवाज कैसे सुनोगे क्युकी भई कान तो दो ही है .....मैं तो अपने दिल की सुन रही हूं चाहे कोई बच्चा कहे चाहे जो कहे ये दिन तो मेरा है मेरे किरदार का वो दिन जब में अपनी कहानी की लाइमलाइट में हूं...उस एक दिन को मैं तो दूंगी उसे उस के हिस्से का सुकून उसके हिस्से की खुशी....

वैसे तो ये ज़िन्दगी और जिंदगी की उलझनें 23 सालो से चल ही रही है और क्या गारंटी है आगे सब कुछ सही रहेगा ...इसलिए यार इतना मत सोचो उठो और बस जियो कम से कम वो एक दिन जो बस तुम्हारा है



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract