STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Romance

4  

V. Aaradhyaa

Romance

(2)सफर में हमसफ़र

(2)सफर में हमसफ़र

11 mins
279


प्रिय पाठकों ,अब तक आपने पढ़ा....


सुनिधि अनीता जी और विकास को अपने ट्रेन के कम्पार्टमेंट में देखकर चौंक गई थी।और उसके मन में विकास को लेकर बहुत सारे सवाल थे.... जो वह अनीता जी की उपस्थित में पूछने से सकुचा रही थी।और... अनुभवी अनीता जी से सुनिधि की उलझन छिपी नहीं रही।तभी....अनीता जी शायद दोनों को एकांत देने के लिए वाशरूम चली गईं।


"तुमने मुझसे शादी के लिए इनकार क्यों किया था?"ना जाने कबसे अपने जेहन के इस अनुत्तारित प्रश्न को आज विकास पूछ ही बैठा।


"ऐसे ही।तुम्हारे हस्बैंड कैसे हैँ और कोई बच्चा...?"बोलते हुए विकास बड़ा उतावला हो रहा था।


"मेरी शादी नहीं हुई। मैं सिंगल हूँ!'


"पर... मेरी माँ तो कह रही थीं कि...."विकास के वाक्य को काटते हुए माँ बोल उठी।


"मुझे तुमदोनो माफ कर दो। मैंने तुमदोनो से झूठ बोला!मैंने विकास से कहा कि अब सुनिधि उससे शादी नहीं करना चाहती और सुनिधि से विकास के बारे में भी यही कहा। जबकि मैं नहीं चाहती थी कि तुमदोनो की शादी हो!"अनीता जी बोलती जा रही थीं और इधर इन दोनों के बीच गलतफहमी की दिवार ढह रही थी।


उस सुबह तक बदल के सीट की महिला भी उनकी बातों में रुचि लेने लगी थी। जब विकास का ध्यान इस तरफ गया की इन दोनों के भरत मिलाप का दृश्य का मजा सहयात्री और 12 आने जाने वाले यात्री भी लेने लगे हैं तब उसने अनीता जी को कहा चुप रहो मां यह बातें हम ट्रेन से उतरने के बाद भी कर सकते हैं और ना जाने कैसे उसने सुनिधि को अपने आंखों के इशारे से चुप रहने के लिए कहा और सुनिधि भी उसकी बात मान कर चुप हो गई।


उनकी सगाई टूटे हुए चार साल हो चुके थे वक्त का इतना लंबा फासला भी आंखों के एक इशारे को पहचानता था।क्यों नहीं पहचानता आखिर विकास और सुनिधि ने एक दूसरे को प्यार जो किया था।दो प्यार करने वालों के बीच गलतफहमी तो हो सकती है लेकिन उनका रिश्ता कभी नहीं टूट सकता।तीनों को खामोश रहकर कैसे भी दिल्ली तक पहुंचना था। अंदर ही अंदर विकास सोच रहा था कि वह सुनिधि से जरूर पूछेगा कि उसने सगाई के बाद भी शादी के लिए क्यों इंकार कर दिया। फिर उसके पैर में जो चोट लगी थी उसके बाद उसमें ऐसा बदलाव क्यों आया होगा।लाख कोशिशों के बावजूद भी सगाई के बाद सुनिधि ने विकास से मिलने के लिए क्यों इंकार कर दिया था।


सवाल ट्रेन की गति से भी तेज विकास के दिमाग में दौड़ रहे थे।


खैर ट्रेन लगभग 11:00 बजे दिल्ली पहुंची तब विकास और सुनिधि ने जैसे राहत की सांस ली। कुछ सवालों के जवाब तू सुनिधि को पता थी क्योंकि सुनिधि ने खुद ही विकास की जिंदगी से दूर जाने का फैसला किया था लेकिन उस जानने का मन था कि अनीता जी ने विकास को क्या बताया था। और विकास जानना चाहता था कि यूं अचानक सगाई होने के बाद एक मामूली एक्सीडेंट होने की वजह से सुनिधि ने विकास से शादी करने के लिए क्यों इंकार कर दिया था।ट्रेन जो दिल्ली पहुंची तब सुनिधि को लेने अभिषेक आया हुआ था और उधर अनीता जी और विकास को लेने शिल्पी के पति आए हुए थे।


बाबूजी तो खैर अब नहीं रहे थे लेकिन अम्मा अभिषेक के साथ दिल्ली में रहती थी अभी 10 दिन का सेमिनार था इसीलिए सुनिधि दिल्ली आई थी। वैसे वह इन दिनों कोलकाता में जॉब कर रही थी। और विकास तो कानपुर छोड़कर कहीं गया ही नहीं था।अनीता जी को कानपुर छोड़कर कहीं और क्या मन लगता इसीलिए सरकारी नौकरी में होने के बावजूद विकास विभागीय परीक्षा नहीं देता था ताकि प्रमोशन के साथ उसका तबादला ना हो जाए और फिर मां उनके साथ कहां भटकती फिरेगी।


अपनी मां को इतना प्यार करने के बावजूद विकास के मन में एक शंका थी कि सुनिधि अपने मन से उससे शादी करने को इनकार नहीं कर सकती। लेकिन उसे अपनी मां पर भी बहुत भरोसा था।


दरअसल सगाई के बाद एक दिन सुनिधि का बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। छोटे * पर और पैर में आई थी साथ में दाएं पैर के घुटने का लिगामेंट टूट गया था उस वक्त तो ऐसा लग रहा था कि कोई हड्डी ना टूट गई हो। क्योंकि सुनिधि एकदम खड़ी नहीं हो पा रही थी।उस वक्त भी सुनिधि को यह फिक्र नहीं थी कि मेरा पैर कब ठीक होगा उसे यह फिकर थी कि शादी के समय कहीं वह लंगड़ा कर तो नहीं चलेगी।


डॉक्टर ने साफ-साफ कह दिया था कि लिगामेंट ठीक होने में वक्त लगता है हो सकता है अभी तीन-चार महीने तक सुनिधि की चाल सामान्य ना हो पाए उसके बाद भी दो एक साल तक उसे थोड़ा सावधानी बरतना होगा।डॉक्टर की बात जब घर में शिल्पी ने अपनी मां को बताया तब अनीता जी एकदम से बौखला गई।शिल्पी सुनिधि की दोस्ती और उसकी वजह से ही विकास और सुनिधि की मुलाकात हुई थी।यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई उन दोनों को इसका पता तब चला जब एक दिन अनीता जी ने विकास के लिए अपने समाज से एक लड़की का रिश्ता लाइन जिसका नाम तनीषा था।


तब तक विकास और सुनिधि ने एक दूसरे को प्यार के वादे नहीं किए थे लेकिन एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे और कौन पहल करेगा यह सोचकर दोनों ही सकुचा रहे थे। अब तू की बात बहुत बढ़ गई थी अब भी अगर विकास चुप रहता तब उसकी शादी उसकी मां तनीषा से कर देती इसीलिए हारकर विकास ने शिल्पी को बोला कि वह मां तक उसकी बात पहुंचा दें कि वह सुनिधि से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है।


शिल्पी सुनिधि की दोस्त थी लेकिन कहीं ना कहीं वह भी नहीं चाहती थी कि विकास और सुनिधि की शादी हो। शिल्पी को इस शादी से एक ही प्रॉब्लम थी कि वह अपनी मां का स्वभाव अच्छे से जानती थी और सुनिधि का भी।


स्वाभिमानी और मितभाषी सुनिधि कभी भी अपना और अपने परिवार वाले का अपमान नहीं सह सकती थी।

सुनिधि के परिवार वाले मध्यमवर्गीय खाते पीते लोग थे जबकि अनीता जी अपने रुपए पैसे के मोह मद में चूर थी। अनीता जी के पति बहुत बड़े बिजनेसमैन थे और अभी भी अनीता जी के दोनों छोटे भाई उनके उनका बिजनेस देख रहे थे और अनीता जी अपने बेटे से भी ज्यादा अपने छोटे भाई की बात मानना करती थी।


अनीता जी के भाई की पत्नी नीलिमा चाहती थी कि किसी भी तरह से विकास की शादी उसके ममेरी बहन की बेटी तनीषा से हो जाए। जब सुनिधि का एक्सीडेंट हुआ और डॉक्टर ने कहा कि वह आगे भी लंगड़ा कर चलेगी तब नीलिमा ने अनीता जी के कान भरने शुरू कर दिए की सुनिधि तो लंगड़ा कर चलेगी और एक लंगडी को विकास की दुल्हन के रूप में देखकर लोग उनके परिवार का और खानदान का मजाक उड़ाएंगे।


अनीता जी दिखावा और पैसे के घमंड में चूर रहती थी।एक मौका मिल गया कि सुनिधि में कोई कमी निकल आए और वह शादी से इंकार कर सकें।सुनिधि के एक्सीडेंट को लगभग पंद्रह दिन हो चुके थे और दस दिन बाद उसकी शादी थी।


चूंकि लिगामेंट रप्चर होने पर डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह देते हैं इसीलिए सुनिधि उस दिन अपने बेडरूम में आराम कर रही थी। तभी अनीता जी और शिल्पी उसे देखने आए। सुनिधि को आराम करता हुआ जानकर अनीता जी शिल्पी को सुना सुना कर कहने लगी कि "अब इस लंगडी से कौन करेगा शादी विकास तो नहीं करना चाहता है वह कहता है कैसे भी करके मां से मना कर दो अब मैं से कैसे समझाऊं मैं तो फिर भी इसे अपने घर की बहू बना लूंगी लेकिन लोग क्या कहेंगे कि शर्मा परिवार में लंगडी बहू आई है एक ही मेरा चांद सा बेटा है उसके लिए ऐसी बहू लाऊं जो जिंदगी भर लंगड़ा कर चलेगी।"


शिल्पी ने भी थोड़ा सुना कर कहा "ऐसा क्यों कहती हो मां विकास भैया सुनिधि को प्यार करते हैं।"


"अरे खाक प्यार करता है ।अगर विकास सुनिधि से प्यार करता तो जब से यह अस्पताल में भर्ती है वह रोज तनिषा से क्यों बात करता है।"


बिस्तर पर लेटे लेटे सुनिधि उनकी बात सुन रही थी और उसकी आंखों से झर झर आंसू बह रहे थे कि विकास उसको इतनी जल्दी भूल गया और क्या सच है कि विकास उससे शादी नहीं करना चाहता तनिषा से शादी करना चाहता है। वाह सोच रही थी कि विकास से जरूर बात करेगी इसीलिए उसने रात में जब विकास का फोन लगाया तो विकास का फोन बिजी आ रहा था। उसने अपना फोन ऑफ कर दिया और सोने की कोशिश करने लगी।



अगले दिन सुबह विकास का फोन आया तो उसने बताया कि वह कल रात तनिषा से बात कर रहा था और पूछ रहा था कि लड़कियों को क्या-क्या पसंद है ताकि वह सुनिधि के लिए गिफ्ट ला सके।सुनिधि को विकास की बातें झूठी लग रही थी उसने गुस्से से कह दिया जाओ मुझे तुमसे शादी ही नहीं करनी और फोन काट दिया। फोन स्विच ऑफ करके सुनिधि लेट गई और रोने लगी।अनीता जी का प्लान तो बहुत लंबा था उन्होंने विकास को कान भरना शुरू किया कि सुनिधि उससे शादी नहीं करना चाहती है वह प्रभात से शादी करना चाहती है जो अभी उसके घर आया हुआ है और वह विकास से शादी करने से इंकार कर रही है।


प्रभात सुनिधि का कॉलेज का दोस्त था। अभी रायपुर मेडिकल कॉलेज में उसका ट्रांसफर हुआ था। बातों बातों में हंसते-हंसते एक दिन सुनिधि ने विकास को बता दिया था कि प्रभात उसे पसंद करता है बस तभी से विकास के मन में एक खटका सा हो गया था। अब किसकी मां कह रही थी कि सुनिधि विकास से शादी नहीं करना चाहती तो विकास को अपनी मां की बात सच लग रही थी।सुनिधि के माता-पिता को अनीता जी ने पहले ही कह दिया था कि हम अपने सुदर्शन बेटे की शादी आपकी बेटी से अब नहीं करना चाहते क्या पता पूरी जिंदगी वह सीधे चल पाएगी कि नहीं। सुनिधि के माता-पिता को बात चुभ गई। सुनिधि का छोटा भाई अभिषेक और उसके पिता जाकर सगाई का सारा सामान लौट आए और सगाई तोड़ दी।


यह सब तब हुआ जबकि विकास घर में ही था अब उसको पूरा यकीन हो गया कि सुनिधि उससे बात भी नहीं करना चाहती और शादी के लिए भी मना कर रही है मतलब उनके बीच में कोई तीसरा आ गया है और वह प्रभात है।तरह दोनों एक दूसरे के लिए गलतफहमी लेकर अलग हुए थे। सुनिधि के पिता सरकारी अफसर थे कुछ दिनों में उनका तबादला कानपुर से मेरठ हो गया और एक तरह से संपर्क सूत्र टूट सा गया।


6 महीने के अंदर सुनिधि फिर से पहले की तरह चलने लगी अब उसका उस शहर में मन क्या लगता उसने जॉब के लिए उस शहर से बाहर कोशिश की और उसे कलकत्ते में नौकरी मिल गई। अभिषेक की पोस्टिंग दिल्ली हो गई थी और उसके माता-पिता अभिषेक के साथ ही रहते थे। सेमिनार के साथ सुनिधि अपने माता पिता से भी मिलने वाली थी। इसलिए वह बहुत खुश थी लेकिन जब अतीत उसके सामने आ गया तो वह अंदर तक हिल गई थी।


यह सब बातें उन्होंने शिल्पी के घर जाकर किया फिर विकास ने कहा "चलो,मैं गलतफहमी का शिकार हो गया था लेकिन तुमने तो मुझे प्यार किया था तुमने मुझसे एक बार तो पूछा होता कि मैंने क्या कहा है मैं क्या चाहता हूं।"


अब सुनिधि के बोलने की बारी थी "क्यों मैं क्यों पूछती तुम भी तो पूछ सकते थे मुझे तो तुम्हारी खबर मिलती रहती थी। तुम्हें मेरी खबर कैसे मिलती थी।"


"अरे फेसबुक में फ्रेंड हूं और मैं तुम्हारा अपडेट देखती रहती हूं मुझे अजीब लगता है कि तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की तुम तो वह तनीषा से कुछ ज्यादा ही प्यार करते थे ना।"


सुनिधि ने थोड़ा नाराज होकर कहा तो उसकी इस मासूमियत पर विकास फिदा हो गया उसे मन किया कि अभी सुनिधि को गले से लगाए और कहे "पगली मैंने हमेशा से तुम्हें ही प्यार किया है मैं तुम्हारी जगह किसी को भी नहीं दे सकता हूं।"


सामने में इतना ही कह सका "काश! तुमने भी मुझे समझने की कोशिश की होती ।अब दोनों हाथ में हाथ डालकर बैठे थे। अब झगड़े का गलत फहमियों का नाराजगी का गुस्से का दौर खत्म हो चुका था।"


अब दोनों के बीच था तो सिर्फ प्यार और एक दूसरे का साथ निभाने का वचन।


विवाह के बाद...उस दिन खुले आसमान के नीचे जब दोनों बैठे थे मधुमास का समय था प्रेम दोनों के मन में लबालब भरा हुआ था।तभी सुनिधि जोर से हंसने लगी।उसके इस तरह हंसने से विकास ने चौक कर उसको देखा और पूछा क्या हुआ।वही गाने बांकीपुर उड़ गई चिड़िया फुर्र।


"क्या मतलब है इसका।"


"आस ने सुनिधि के गाल खींचते हुए कहा।"


भीम के और समर्पण के एहसास से रत्नार होकर सुनिधि ने कहा,"इसका मतलब है कि अगर तुम्हें कोई कहे कि कौवा तुम्हारे कान ले गया तो तुम पहले कौवे के पीछे भागोगे कि पहले अपने कान को देखोगे।"


"अच्छा ,मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे तुमने भी तो यकीन कर लिया था कि मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहता।"


"हां हां वह तो अभी भी नहीं चाहते हो मैं तो यही कहूंगी।"


"तुम तो सिर्फ कहोगी गाने बात ही कर उड़ गई चिड़िया फुल।"


दोनों खिलखिला कर हंसने लगे आसमान का चांद भी इनके मधुर मिलन को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था।अगर सच्चा हो तो कुछ दिनों के लिए उनको गलतफहमी हो सकती है उन पर थोड़े दिनों के लिए ग्रहण लग सकता है लेकिन अंततः प्रेम प्रखर होता है और सच्चे प्रेम की हमेशा जीत होती है।


प्रेम एक शाश्वत सत्य है हर युग में हर काल में।






Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance