ज़ुबाँ से कुछ न कहना
ज़ुबाँ से कुछ न कहना
पास ना होकर भी पास रहूंगा तुम्हारे,
हर बात पर तुम्हे खबर भी करूंगा।
वो जैसे ही पहुँच जाऊंगा मैं मेरे अपनों के बीच,
तुम्हें भी तस्वीरों की कहानी में पिरो दूंगा।
रहना हर पल साथ मेरे तुम बस
ज़बां से कुछ ना कहना, पगली।
वो पिछ्ली शाम की सारी बातें,
कब कैसे बतला दी तुमको।
एक-एक कर के सारी वो यादें,
क्यूँ मैंने यूँ जतला दी तुमको।
ना मिलकर भी वो तुमसे मिलना
अब रोज यहीं पर होता है।
रहना हर पल साथ मेरे तुम, बस
ज़बां से कुछ ना कहना, पगली।
ना बांधा उसने, ना बँध पाया मैं,
रिश्तो की उलझी डोरों से।
बिन जाने, बिन पहचाने ही
रहते हो अब पास मेरे तुम।
अनजाने में ही शायद तुमसे
कर पाया, दिल की हर बात तभी तो
साथ ना होकर भी साथ निभाना,
तुमसे ही तो सीखा है मैंने।
बस अब रहना हर पल
साथ मेरे तुम, पर
ज़बां से कुछ ना कहना, पगली।