ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
काम में थककर सो जाता कोई,
कोई जागता पूरी रात।
कोई ढूँढता सुकून चाँद तारों में,
कोई करता ख़ुद से बात।
कोई डूब जाता गहरे दर्द में,
कटे कैसे ये लंबी रात।
सुबह के इंतज़ार में करवटें बदल,
सहता रहता घात प्रतिघात।
ज़िंदगी के रंग अनेक
कड़वे मीठे इसके स्वाद।
जीवन पथ में मिलते हैं
कभी हर्ष कभी विषाद।