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Devesh Dixit

Inspirational

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Devesh Dixit

Inspirational

नदी किनारे

नदी किनारे

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नदी किनारे बैठा मैं

अविरल उसको देख रहा था

उसकी बहती धारा में मैं

साया अपना खोज रहा था

दिख न रहा था मुझे उसमें

किंचित भी अपना साया

उसकी बहती धारा में मैं

ऐसा विचारों में खोया

कर रही थी मार्गदर्शन ये

मकसद था मुझे समझाना

यूं ही चलते रहना जीवन में

नहीं तुम कभी भी रुक जाना

रुक गए यदि जीवन में

चित्त दूषित हो जाएगा

कई विकार उत्पन्न होंगे

और जीवन नष्ट हो जाएगा

मुझे देखो और सीखो लगन से

मेरा अविरल बहना ही तुमको समझाएगा

कांटे बहुत हैं राहों में

इस पर चल कर ही मंजिल पाएगा



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