दोस्त
दोस्त
एक दोस्त
आता जब जीवन में
मिलता बड़ा
आनंद जीवन में
नहीं रहती कमी कोई
जीवन के आँगन में
यही वो रिस्ता जिसे
निभाना बहुत आसान
नहीं दुराभाव होता
दोनों के जीवन में
करो दोस्ती ऐसी
जो टूटेना जीवन में
जैसे कृष्ण सुदामा
ने की जीवन में
निभाओ उसे हर हाल में
जब तक ये जीवन हे
इससे बढकर नहीं कोई धन हे
प्रेम प्यार और विश्वास का
ये एक अटूट बंधन हे
दोस्त की दोस्ती का
होता नहीं कोई मोल हे
के जिसके सामने ना
खजाने का कोई मोल हे
ईमानदारी से करता
जो इसका निर्वहन हे
पाता जीवन में एक
असीम आंनद है।