दिल
दिल
कभी पत्थर तो कभी मोम कहलाता है,
कभी सयाना तो कभी नादान कहलाता है।
बड़ा नादान सा रहता है आजकल,
मानो कह रहा हो बहुत हुआ अब बस कर।
हर बार मुझे यूँ समझाया ना कर,
मेरा कहा सुनकर घहबराया ना कर।
और अक्सर उसे ये कह कर समझाना पड़ता है,
दुनिया है हर किरदार शिद्दत से निभाना पड़ता है।
बहुत रोने लगता है ये आजकल,
कहता है,कभी खुद से भी तो प्यार कर।
तुझे ज़िंदा रखने की कोशिश पल पल करता हूँ,
और इसीलिए शायद बार बार मरता हूँ।