साल २०२०
साल २०२०
कौन कहता है ..!
साल 2020 खराब आया है।
अरे इसने तो हर इन्सान को
अपने दम पर जीना सिखाया है
लेते रहे सहारा दूसरों के कंधों का जो
उन्हें उन्हीं के जमीं और आसमां से
अवगत कराया है।
कौन कहता है ..!
साल 2020 खराब आया है।
रुतबो के जोर पर
कर रहे थे जो बादशाही
आज उन्हें भी हाथ जोड़
अदब से पेश आना सिखाया है।
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।
सालों से बंजर पड़ी घरती पर
फिर एक बार हल चलवाया है
बाहर के छोले भटूरे छोड़
घर की दाल रोटी में स्वाद दिलाया है।
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।
खोजते रहे ईश्वर अल्लाह को
जो मंदिर और मीनारों में
आज वही ईश्वर अल्लाह
हर घर में नजर आया है।
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।
भागते रहे जो बच्चों की शरारतों से दूर
आज उन्हें ही बच्चों की
शरारतों का हिस्सा बनवाया है
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।
करते रहे जो कसरत
व्ययामशाला और अखाड़ों में
आज घर का आंगन ही उन्हें
व्ययामशाला और आखाड़ा
नजर आया है।
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।
कल की चिंता में व्यर्थ ही
समय गँवा रहे हर प्राणी को
आज में खुश रहने का महत्व सिखाया है।
कौन कहता है..!
साल 2020 खराब आया है।