कहमुकरियां
कहमुकरियां
घिर आए बदरा कारे कारे
तन के मैले हुए उजियारे।
मन अशांत, तन में आक्रोश
ऐ सखि साजन! ना सखि रोष।
माथे पे दमके हैं ऐसे
सुरज की बिटिया हो जैसे।
दिखती उर्दू, पर है हिंदी
ऐ सखि साजन! ना सखि बिंदी।
मंद मंद गौरी मुस्काए
कानों में मिश्री घुल जाए।
देख के मन हो जाए घायल।
ऐ सखि साजन! ना सखि पायल।
देखकर इसको मन हर्षाए
आईना कुछ कह ना पाए।
तन मन दूं मैं इसपर वार
ऐ सखि साजन! ना सखि हार।
कमसिन कलाई दमकता सोना
घूमरदार नक्काश मोहना
रची मेंहदी हाथों का शगना
ऐ सखि सजना! ना सखि कंगना।
डांट कर भी लाड लडाएं
फिक्र में सबकी घुलती जाए।
भरी दुपहरी ठण्डी छाँ
ऐ सखि साजन! ना सखि माँ।
जित मैं जाऊं उत आ आए
कानों में गुंजन भर जाए।
भोर दुपहरी घूमे पगरा
ऐ सखि सजना! ना सखि भंवरा।