जिंदगी
जिंदगी
बस चंद पलों की मोहताज है जिंदगी जी,
जीभरकर बहुत उदास है जिंदगी
जिस वजह से आया है,वो काम कर,
चंद सुनहरे पलो की रात है जिंदगी
अपने लक्ष्य पर तू साखी नज़र कर,
बाकी सब सफर को तू भूला कर,
कुछ खट्टा,कुछ मीठा दर्द है जिंदगी
बस चंद पलों की मोहताज है जिंदगी
कब तलक तू दोषारोपण में जियेगा,
चंद लोगों से खुशी भी तो है जिंदगी
चंद लोगों के सूर्य पर धूल फेंकने से,
कम नहीं हो जाती है सूर्य की बंदगी
बस चंद पलो की मोहताज है जिंदगी
लोगों की परवाह करना अब छोड़ दे,
परवाह से मोह में बड़ी रोती है जिंदगी
ख़ुद की खुदी में तू खोया रह साखी,
भीतर ही झांक तेरे जन्नत है जिंदगी
बस चंद पलों की मोहताज है जिंदगी।