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Sumit Malhotra

Inspirational

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Sumit Malhotra

Inspirational

ठहर नादान मुसाफ़िर‌

ठहर नादान मुसाफ़िर‌

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उठ रही है कुछ क्रोध रूपी चिंगारियां मेरे संतप्त सीने में,

जल रहा है मेरा दिल अब तो सावन के भी महीने में।

खतरों से खेलना हे मुसाफ़िर छोड़ दे,

खुद से मुहब्बत ना सही, अपनों के लिए जाने की बाहर जिद छोड़ दे।

क्या जी लेगा चैन से जब घर-बार होगा सूना-सूना,

लड़ेगा कैसे इस तूफान रूपी एकांत से अकेला।

बस इतनी-सी है इल्तज़ा ए गुजारिश,

अपनों को सलामत रखने की कर खुदा से सिफारिश।

आज है तेरा हरियाली रूपी खुशहाल परिवार,

मत करना ऐसी नादानियां तरस जाए पाने को उनका प्यार।

मत घूम डगर-डगर बन कर बंजारा,

अपनों का पल दो पल का साथ भी ना मिलेगा दोबारा।

अपने जब रूठेगे तुमसे हे मुसाफ़िर,

मनाना तो दूर, बात करने को तरस जाओगे।

करले विश्वास अपनी शक्ति और हिम्मत पर,

पूरी करेगा सदा ईश्वर तेरी हर कामना।



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