मुस्कुराना सीख लो
मुस्कुराना सीख लो
सोचना क्यों ज़िन्दगी में,
हंस के जीना सीख लो,
चार दिन की ज़िंदगानी,
मुस्कुराना सीख लो,
क्या बुरा है क्या है अच्छा ,
व्यर्थ क्यों ये सोचना है,
कर्म करना धर्म अपना,
क्यों उसे फ़िर छोड़ना है,
कर्म का संकल्प लेकर,
संकल्प निभाना सीख लो,
चार दिन की ज़िंदगानी,
मुस्कुराना सीख लो।
जब असंभव पथ लगे तो,
हार कर क्यों बैठना है,
पथ अनेकों हैं यहां पर,
दूसरा पथ ढूंढना है,
तूफ़ान को तुम पार करके ,
पथ बनाना सीख लो,
चार दिन की ज़िंदगानी,
मुस्कुराना सीख लो।
चल रहा संसार सारा,
फ़िर यहां क्यों रुक रहे हो,
राह जीवन छोड़ अब तुम ,
किस जहां में खो रहे हो,
सब बाधाओं को प्रगति पथ से,
दूर रखना सीख लो,
चार दिन की ज़िंदगानी,
मुस्कुराना सीख लो।।