बंबई मे का बा...?
बंबई मे का बा...?
गाँव में माई- बाबू क चुअत मडाइ बा,
मेहरारू क लुग्गा धूमिल बा,
आपन त पढ़ाई छोड़ली,
छोटके क कैसे छोड़वाइ,
बहिन भइल सयान,
बियाह क अरमाँ बा,
बचवा- बच्ची के अंग्रेजी पढैय् क फरमान बा,
बैल की नाइ जोतत् बाड़ी, जिनगी
नाही कमाई माटी में,
हम भी सोची बंबई में का बा.....
बंबई त सबके सपना क मायाजाल बा,
बम्बा देबी बुलावे,
कितना तोहरे जी क जंजाल बा,
बिना मेहनत के त भैया माटी भी कंगाल बा,
भूख- बेरोजगारी में जिनगी बेहाल बा,
फिर भी सब बोले, का बा बंबई में का बा.......
मुश्किल में बम्बा देबी क साथ बा
परेशानी में महालक्ष्मी माई क हाथ बा,
भूखे पेट ना सुतब,
अैसन सिद्धिविनायक क आशीर्बाद बा,
बाकी त बड़ा- पाव पर जिंदगी निहाल बा,
कैसे बोली? बंबई में का बा......
अमिताभ के एक्टिंग क कमाल बा,
मनोज के मेहनत क धमाल बा,
पंकज के वेब सीरीज क मचल बड़ा बवाल बा,
ई तीनों क घर त भैया बड़ा बेमिसाल बा,
छठ पूजा पर देखा इहाँ दूसरा बिहार बा,
जुतियाँ माई क दरिया किनारे सजल दरबार बा,
काहे सब बोले, बंबई मे का बा?.....
तू हार के बाज़ी जात बाडा,
ई तो गल्ती बस तोहार बा,
किसान क बेटवा बाडा,
पलट के रख दा बाज़ी,
फिर पूरी बंबई तोहार बा,
बिना मेहनत के त भैया माटी भी कंगाल बा,
नाही त, जिंदगी भर सोचा बैठ के, बंबई में का बा......