स्वयं को पूजनीय बनाओ
स्वयं को पूजनीय बनाओ
रहने मत दो अवगुण का, जीवन में एक भी अंश
पवित्रता अपनाकर बनो, तुम मानसरोवर के हंस
गुण जागे जब जीवन में, अवगुण ना रह जाएगा
रोने का अवसर कभी, जीवन में फिर ना आएगा
बोझिल रहता उसका मन, जो अवगुण अपनाए
गुण सम्पन्न व्यक्ति हंसकर, अपना समय बिताए
दोनों का भेद जानकर, अवगुण यदि अपनाओगे
विघ्नों रूपी शत्रुसेना को, सम्मुख आता पाओगे
अवगुणों के बल पर यदि, जीवन तुम बिताओगे
भूलें होगी हर पल तुमसे, जीवन भर पछताओगे
अवगुण सुखी बनाते हैं, ये मन से वहम निकालो
सर्वगुण धारण करके, अपने चरित्र को सम्भालो
स्वयं को गुणवान बनाने की, करो सच्ची साधना
बनोगे महिमा के योग्य, होगी आपकी आराधना
दृढ़ता स्वयं में जगाकर, जीवन में दिव्यता लाओ
अनन्त काल के लिए, स्वयं को पूजनीय बनाओ।