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Krishna Bansal

Abstract Classics Inspirational

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Krishna Bansal

Abstract Classics Inspirational

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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तुम कहते हैं

अगर ज़िन्दगी 

प्रारंभ में ही अपने सारे पत्ते

बेनकाब कर देती

बीता कल, 

आने वाला कल, सभी


शायद तुम्हारी ज़िन्दगी की 

दिशा ही कुछ और होती।

तुम ज़्यादा अच्छी 

ज़िन्दगी जी पाते।


क्या गारंटी है इस बात की ?

और फिर ज़िन्दगी का 

रहस्य ही क्या रह जाता

कौतुहल ही क्या रह होता।


क्यों नहीं समझते

ज़िंदगी तो खुलती है

परत दर परत 

प्रति दिन 

प्रति पल। 

कौन जाने अगला पल कैसा होगा 

सुखदायी या दुखदायी।


यह तुम्हें समझना है

ज़िन्दगी ने तुम्हारे मुताबिक नहीं

तुमने उसके मुताबिक चलना है।


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