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Shraddha Pandey

Classics

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Shraddha Pandey

Classics

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ये ज़िन्दगी बेवक़्त रुलाती क्यों हे,

छोटी से छोटी चीज़ के लिए तड़पाती क्यों है,


आसान सी ज़िन्दगी मुश्किल हो गई, 

उस रात ये सोचते सोचते न जाने कब सो गई !


आगे सफर था, साथ में हमसफ़र था,

रुकती तो सफर से रुस्वाई करती,

चलती तो हमसफ़र से बेवफाई करती !


बड़ी ही असमंजस में फँसी थी,

आज भी याद है वो दिन

जब में रोते रोते हँसी थी !


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