STORYMIRROR

AMAN SINHA

Tragedy

4  

AMAN SINHA

Tragedy

युवा @ २०१९

युवा @ २०१९

1 min
526

कटे फटे सब यहां वहां से कैसा ये पहनावा है

दिखता है तन पूरा इनका कैसा ये दिखावा है

इंग्लिश में खिटपिट करते है हिंदी इनको खलती है

मौसी आंटी बन गयी अब और माँ मॉम कहलाती है


लहे हुए है चाट पे हरदम मुँह से बात नहीं करते

अपने घर के लोगो का बिलकुल ध्यान नहीं धरते

बात बात पे गाली देना स्वैग इसी में मिलता है

सिगरेट दारू छोड़ के इनको कभी नहीं कुछ

दीखता है


कपड़े जूते हाथ घड़ी हो सबकुछ ब्रांडेड होता है

सब खर्चो को पूरा करना बाप के सर पे होता है

रात सो जागना दिन को सोना जीवन की ये मर्यादा है

रिश्तों का कुछ मोल नहीं पर मोबाइल की

कीमत ज्यादा है


पूरा जीवन मिथक इनका मिथक दुनियादारी है

छूटपन का कोई यार नहीं अब फेसबुक पर यारी है

बचपन इनका मर चुका है और नाकाम जवानी है

मन में ना है जोश किसी के ना आँखों में पानी है


भाव सभी है डिजिटल इनके सोशल मीडिया के

पन्नों पर

सोच भी जलके राख हो गयी मिम्स के झूठे दंगों पर

टिकटोक इनका कॉलेज हो गया प्यार मिल गया

टिंडर पर

युटुब इनका लैब हो गया बुक्स मिल गया किंडल पर



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy