Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

यूँ तो हम रंगे हुये हैं

यूँ तो हम रंगे हुये हैं

1 min
242


यूँ तो हम रंगे हुये हैं

अपने ही खास रंग में

फिर भी अब की होली

दिलचस्प है


बंद कमरा,

अंदर हम 

अधरों पर गुलाबी हंसी

दिमाग में रंगों के कहकहे

मन पर नीला आसमानी रंग

विचार डूबे हुये गाढ़े नीले रंग में


खिड़की से आती हुयी उल्लसित हवा

खोनापन कोई रंग हो तो

उसमें नहाये हुये हम

हृदय में आनन्द की रिमझिम फुहारे

और ख्याल में तुम


दरवाजे पर आवाज की दस्तक

"आप को और आप के परिवार को

होली की मंगल कामनायें,"

बाहर बालकनी में

टँगे हुये आईने में 

खुद को निहारते हुये हम

ढूंढते हुये अपना ही चेहरा


सुनते हुये कबीर

और फिर फूटते हैँ

रंग बिरंगे पानी से

भरे हुये गुब्बारे

भींग गया हूँ मैं

मेरा आईना 


डूब गयी है मेरी होली

तुममें

और सचमुच कितना 

अच्छा लग रहा है

रंग विरंगे रंगों में डूबे हुये

तुम भी मुस्करा रहे हो


हमारी तरह

जैसे कि मेरा कमरा

मेरे साथ 

लगा रहा है गुलाल

तुम्हारे ललाट पर

और आतुर हूँ मैं तुम्हें


अपने आलिंगन में लेने के लिये

और पहली बार तुम

शरमाते हुये

अपनी हथेलियों से


अपना चेहरा छिपाते हुये

चले आये हो मेरे पास

अबकी होली में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract