जिन्दगी खेल नहीं
जिन्दगी खेल नहीं
जिंदगी सेज नहीं फूलों की,
और न है सिर्फ ये काँटों की चुभन।
गुल औ खारों के अहसासों से भरा,
तमाम रंज़ और गमों से भरा चुनौती का चमन।
करें वही सम्मान और आदर सबका,
करें न आचरण जो देता है खुद ही को घुटन।
ये घाटा-ये मुनाफा और सुख -दुख जीवन के,
हैं उपहार करते रहो ईश्वर को नमन।
जिएं जीवन को सदा मस्ती में,
बनेगी बोझ बड़ा जो सजगता का इसमें मेल नहीं।
गुजरना होता है हमें कई बड़े तूफ़ानों से,
है बड़ी पेचीदा ये जिंदगी कोई खेल नहीं।
देखकर कुदरत के मंजर जो हो जाते हैं खुश,
उन्हें ये जिंदगी बेइंतहा प्यारी लगती है।
और जो करते हैं नुक्ताचीनी बेबजह हरेक बात ही में,
उन्हें तो जिंदगी भारी ही बड़ी लगती है।
ये मोहब्बत और ये नफरत हैं हालात किसी के मन के,
एक ही चीज दो लम्हों पे भली और बुरी लगती है।
एक ही चीज जो एक ही वक्त पर दो लोगों में,
एक को बड़ी अच्छी और दूजे को बुरी ही बहुत लगती है।
एक ही आदमी के दो वक्तों पर और एक ही वक्त पे
दो लोगों के हो सकते हैं जज्बात ज़ुदा उनमें मेल नहीं।
गुजरना होता है हमें कई बड़े तूफ़ानों से,
है बड़ी पेचीदा ये जिंदगी कोई खेल नहीं।
होता है बचपन हसीं हिस्सा हरेक जीवन का,
मगर बचपन भी कुछ के बड़ी मुश्किल में गुजरा करते हैं
लेते हैं कुछ लोग जन्म रजत का चम्मच ले मुॅ॑ह में
और ताउम्र बड़ा सुखमय ही जीवन वे बसर करते हैं।
और होते हैं कुछ एक ऐसे भी इस जग में जो,
बचपन से अभागे वे जवानी देखे बिना बुढ़ापे में कदम रखते हैं।
होते हैं कई बड़े उत्थान - पतन भी जीवन में,
दो लोगों या दो लम्हों का इस दुनियावी जीवन में कोई मेल नहीं।
गुजरना होता है हमें कई बड़े तूफ़ानों से,
है बड़ी पेचीदा ये जिंदगी कोई खेल नहीं।
ऐ परमात्मा देना सबको को वह हौसला जिससे,
सुख और दुख में भली-भांति गुजर सब ही कर लें।
सबको वह क्षमता और प्रेरणा देना मालिक,
बाॅ॑ट दें सबको ख़ुशी और हरेक आंख के आंसू हर लें।
तेरी वसुधा के बड़े थिएटर पर स्वामी,
निभे किरदार तेरा सौंपा -हरेक इंसान वही अभिनय कर ले।
खिलखिलाएं एक दूजे के संग मिलकर,
और सब एक दूजे के गम में हों ग़मगीन आंख को नम कर लें।
बने जाए सकल वसुधा ही एक नन्दन कानन मौला,
लगे यह स्वर्ग सी धरती है कोई जेल नहीं।
गुजरना होता है हमें कई बड़े तूफ़ानों से,
है बड़ी पेचीदा ये जिंदगी कोई खेल नहीं।