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Ram Chandar Azad

Abstract

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Ram Chandar Azad

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भ्रुण की आवाज

भ्रुण की आवाज

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मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


बाहर की दुनिया कैसी है ?

दिखने में लगती कैसी है ?

मेरी नहीं तो अपने दिल की,

थोड़ी-सी धड़कन सुन लो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


तू ममता से भरी कहानी

मैं हूँगी तेरी गुड़िया रानी

इस गुड़िया के खातिर मम्मी

थोड़ा पापा से लड़ लो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


बदनसीब मैं हूँ इतनी क्या ?

थोड़ी दया न पा सकती क्या ?

यदि कोई अपराध हुआ तो,

आकर मुझे भुगतने दो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


तेरे आँचल की महिमा माँ

जान सकूँगी मैं कैसे माँ

तेरी गोदी में रह कर के,

लोरी कुछ सुन लेने दो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


मम्मी तुम्हीं बचा सकती हो

पापा को समझा सकती हो

तुम अपनी नारी शक्ति का,

कोई नमूना दिखला दो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


मैं तेरी साँसों में बसती,

मैं आहों में तेरी मचलती

साँसों,आहों के बिन कैसे,

जीओगी मुझसे बोलो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


तुम अन्याय नहीं कर सकती,

क्यों अन्याय की भागी बनती

कब तक तुम अन्याय सहोगी,

अपनी बंद जुबां खोलो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना


मैं कमजोर अब नहीं पड़ूँगी

तेरी खातिर सब से लड़ूँगी

आँसू पोंछ न डर अब आजा,

मेरे संग जरा हँस लो ना


मम्मी ! पापा से बोलो ना

थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना।


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