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Ayushi Modak

Inspirational

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Ayushi Modak

Inspirational

यक़ीन कर

यक़ीन कर

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तू यक़ीन कर ख़ुद पर, युक्ति तेरी चहलकदमी करेगी,

तेरी शिल्प भी प्रसिद्धि के पैमाने पर पहुँचेगी।


सब्र रख के तुझे अभी मिसाल बनना है,

ज़रा ठहर के तेरा बनाया रंदा भी उड़ेगा।

माज़ी को भूल तुझे कुछ नया सोचना है,

समाज का दर्पण भी तुझे ही बनना है।


रोका तुझे किसने है!

शहर की गूंजती आवाज़ों को कर नज़रअंदाज़ तू,

विध्वंस होते इन्हें देर न लगेगी,

कल इन्हीं आवाज़ों में तेरी वाहवाही गूँजेगी।


तेरी पुकार पर वो रसूल होकर आएगा,

पाँव तेरे लड़खड़ायेंगे, संशय भी छाएगा।


इक आवाज़ चीख़ेगी तुझमें ,

तेरे अस्तित्व का तर्क माँगेगी,

तू हताश न होना, ऐ कारीगर,

तेरी कारीगरी भी रंग दिखाएगी।

धीमी आवाज़ जगेगी जिसे,

तू दबाना चाहेगा,

ये आवाज़ अनोखा तुझे बनाएगी,

तेरी मंज़िल का पता बतायेगी।


तू सीमायें अपनी आँकना मत, 

जितनी भी दूर तू चलेगा,

ख़ुद को अकेला ही पाएगा,

ये भीड़ तुझे कहीं नहीं ले जायेगी।

तू यक़ीन कर ख़ुद पर,

युक्ति तेरी भी चल जायेगी।



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