I write in order to discover what I know!
उसूल से पक्के हो तुम मगर, ये फूल ! आख़िरी दफ़ा इनके बिन गले लगाने दे। उसूल से पक्के हो तुम मगर, ये फूल ! आख़िरी दफ़ा इनके बिन गले लगाने दे।
सुकून इस कद्र मिला है, आँख मेरी भर आने को है। सुकून इस कद्र मिला है, आँख मेरी भर आने को है।
ऐ ख़ुशी, तू रहती कहाँ है? माँ के चहरे पर, पिताजी की जेब में। ऐ ख़ुशी, तू रहती कहाँ है? माँ के चहरे पर, पिताजी की जेब में।
क़ासिद चिट्ठी लाया तो है पर, लिखने वाला मेरा नूरी नहीं है। क़ासिद चिट्ठी लाया तो है पर, लिखने वाला मेरा नूरी नहीं है।
माँ, शायद क़ाबिल नहीं मैं तुम पर कुछ लिख पाने के। माँ, शायद क़ाबिल नहीं मैं तुम पर कुछ लिख पाने के।
टूटे हुए काँच से गुलदान बना नहीं, ख़ारिज-ए-सक़फ़ मकान बना नहीं। टूटे हुए काँच से गुलदान बना नहीं, ख़ारिज-ए-सक़फ़ मकान बना नहीं।
आना कभी नज़रें चुराने के लिए, बारिशों में संग भिगाने के लिए। आना कभी नज़रें चुराने के लिए, बारिशों में संग भिगाने के लिए।
चलने को फ़िज़ा में नूर की कमी है, शायद आज उन आँखों में नमी है। चलने को फ़िज़ा में नूर की कमी है, शायद आज उन आँखों में नमी है।
विध्वंस होते इन्हें देर न लगेगी, कल इन्हीं आवाज़ों में तेरी वाहवाही गूँजेगी। विध्वंस होते इन्हें देर न लगेगी, कल इन्हीं आवाज़ों में तेरी वाहवाही गूँजेगी।
हक़ीक़त से वास्ता नहीं इसका, ख़्वाब ये तराशकर सजाया है मैंने। हक़ीक़त से वास्ता नहीं इसका, ख़्वाब ये तराशकर सजाया है मैंने।