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Ayushi Modak

Inspirational

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Ayushi Modak

Inspirational

माँ

माँ

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माँ,

शायद क़ाबिल नहीं मैं तुम पर कुछ लिख पाने के,

मगर ये एक छोटी कोशिश ज़रूर करुँगी।


ज़ुबाँ ने पहली बार तुम्हें ही पुकारा है,

दिल को धड़कना भी तुमने सिखाया है।

कल भोजन साथ करके ये जाना,

ठंडा भोजन कितना बेस्वाद होता है।

अब तो बड़ी भी हो चली हूँ मैं,

पर तुम्हारे हाथ से खाने का स्वाद ही और है।

कोई तो वजह बताये इसकी!


तुम्हारी पाज़ेब की छनक,

कंगन की खनक,

झुमकों का लहराना,

और मीठी बोली में मुझे डांटना।

हाय, वो सर पे बस हाथ फ़ेरना,

माथे को सुबह हल्के से चूमना,

तुम्हार इस स्वार्थहीन प्रेम की मैं कायल हूँ।


मोहब्बत करना भी तुमने सिखाया,

बेपनाह चाहना भी तुमने सिखाया,

बिख़रे दिल को जोड़ना तुमने सिखाया,

ख़्वाब देखना तुमसे सीखा,

उन्हें पर देना भी तुमसे सीखा।

क्या ये काफ़ी नहीं की तुम मेरे नसीब में हो?


हर ग़म में दिल ने तुम्हें आवाज़ दी है,

शायद यही असल ज़िंदगी है।

गम की हँसी तुम्हारी देखी है,

आँसू के पीछे भी तुम्हारे ख़ुशी है।

उस ज़िंदगी में ज़िंदगी नहीं,

जिनके पल तुम्हारे बिना बीते हैं।


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