आना कभी नज़रें चुराने के लिए
आना कभी नज़रें चुराने के लिए
आना कभी नज़रें चुराने के लिए,
बारिशों में संग भिगाने के लिए।
अपने लिए और ज़माने के लिए,
आँखों से जाम पिलाने के लिए।
आँसुओं का वज़न ज़ियादा है,
इन्हें दरिया में बहाने के लिए।
पुराने ज़ख़्म जो हरे हो चले हैं,
उन पर मरहम लगाने के लिए।
एक दास्ताँ अधूरी रह गयी थी,
उसकी हक़ीक़त बताने के लिए।
और एक दिन आयी 'आयुषी',
दोस्ती का हाथ बढ़ने के लिए।
