चाहत की तमन्ना थी और ज़ख़्म दिए तुमने पायी जो यह सौगात तो हम टूट के रोये। चाहत की तमन्ना थी और ज़ख़्म दिए तुमने पायी जो यह सौगात तो हम टूट के रोये।
तुम कह कर तो देखते हंसते हंसते झोली खाली कर देते । तुम कह कर तो देखते हंसते हंसते झोली खाली कर देते ।
क्या हो तुम यह जलालत भरी जिंदगी कैसे जीते हो क्या हो तुम यह जलालत भरी जिंदगी कैसे जीते हो
शरीर की उम्र बरसो में मापते हैं पर। शरीर की उम्र बरसो में मापते हैं पर।
तनतनी,सनसनी रहे और हलचल बनी रहे। तनतनी,सनसनी रहे और हलचल बनी रहे।
ज़ख्म सिलते नहीं रिसते हैं कुछ वक़्त फिर सूख कर मन को सख्त बना देते हैं। ज़ख्म सिलते नहीं रिसते हैं कुछ वक़्त फिर सूख कर मन को सख्त बना देते हैं।