ज़ख्म सिलते नहीं रिसते हैं कुछ वक़्त फिर सूख कर मन को सख्त बना देते हैं। ज़ख्म सिलते नहीं रिसते हैं कुछ वक़्त फिर सूख कर मन को सख्त बना देते हैं।