क्या हो तुम
क्या हो तुम
क्या हो तुम यह जलालत भरी जिंदगी कैसे जीते हो,
अपने हाथों से अपने ही जख्मों को कैसे सीते हो,
अश्क पीते तो देखा है बहुतेरों को,
तुम यह बताओ कि जिगर के लहू को कैसे पीते हो।
क्या हो तुम यह जलालत भरी जिंदगी कैसे जीते हो,
अपने हाथों से अपने ही जख्मों को कैसे सीते हो,
अश्क पीते तो देखा है बहुतेरों को,
तुम यह बताओ कि जिगर के लहू को कैसे पीते हो।