STORYMIRROR

Nisha Singh

Inspirational

3  

Nisha Singh

Inspirational

ए दुश्मन सुन…

ए दुश्मन सुन…

1 min
765

ए दुश्मन सुन… तेरी कैंची की धार खो गई है,

जो मुझे तिल-तिल मारती थी लगता है

खुद ही मौत के आंचल में सो गई है,

ये मेरे सपनों को अब नहीं काट पा रही,

मुझे तोड़कर टुकड़ों में नहीं बांट पा रही,


जो पंख तूने तोड़े थे वह आज उड़ रहे हैं,

जो ख़्वाब मेरे अधूरे थे वह परवान चढ़ रहे हैं,

हम किस्मत लिख रहे हैं अपनी

हम किस्मत से लड़ रहे हैं,

नासाज पड़ी इस जिंदगी को साजो में गढ़ रहे हैं,


रोना तो कायरों की निशानी होती है,

बात तब ही समझ में आती है जब आनी होती है,

मुझे तोड़ तूने सोचा जीत जंग तू जाएगा,

मेरे अरमानों को कुचल तू अपनी मंज़िल पाएगा,


तूने जो मुझ को तोड़ा था क्या सोचा था मैं बिखरूंगी,

पर तुझे नहीं था इल्म यह कि मैं इसी आग मैं निखरूंगी,

अपनी कैंची तू देख जरा तेरी कैंची में जान नहीं,

मुझे तो तोड़ पाए तू अब यह इतना भी आसान नहीं,


मानती हूं कि जिंदगी मेरी अभी तम से घिरी है,

पर है भरोसा मुझे मंज़िल मेरी पलकें बिछाए खड़ी है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational