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Nisha Singh

Romance

3.9  

Nisha Singh

Romance

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और मेरी तन्हाई

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मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है,यह जिंदगी तुम्हारे साथ ही बीत जाती तो अच्छा था, पर आदत हो जाती उस साथ की जो एक दिन टूट जाना था,

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है,जिंदगी के इस सफर में काश तुम्हारा हाथ इन हाथों में होता, पर आदत हो जाती उस हाथ की जो एक दिन छूट जाना था,

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है, काश कि जिंदगी की हसीन शामे तुम्हारे साथ गुजरती,पर आदत हो जाती उन शामों की जो एक दिन मुझे रुला जाती,

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है,काश कि यह निगाहें मुझे खुद में बसा लेती,पर आदत हो जाती उन निगाहों की जो एक दिन मुझे भुला जाती,

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है,काश कि यह ठंडी हवाए हम दोनों को साथ छूकर जाती, पर आदत हो जाती उन हवाओ की जो एक दिन मुझे भिगा जाती,

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर बातें करते है,अच्छा हुआ कि हम दोनों के रास्ते मुख्तलिफ हो गए, वरना नम हो जाती यह आंखें जब इन रास्तों पर निगाह जाती|


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