शत्रु कोरोना
शत्रु कोरोना
हे केशव ! ये कैसी माया है,
ये कैसा संकट छाया है,
क्या हमने कोई पाप किया,
या प्रकृति ने है शाप दिया,
ये शत्रु अनोखा आया है,
कैसा हड़कम्प मचाया है,
है परेशान दुनिया तमाम,
वसुधा करती है त्राहिमाम,
इस चक्रव्यूह को तोड़ो ना,
है नाम शत्रु का ‘कोरोना’,
आओ गाण्डीव उठायें हम,
बैरी को मार गिरायें हम,
तुम भी मधुसूदन चुप ना रहो,
धर चक्र शत्रु के प्राण हरो,
माँ धरती पर तुम कृपा करो,
मनु के पुत्रों का त्रास हरो।