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Ayushi Modak

Abstract Tragedy Thriller

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Ayushi Modak

Abstract Tragedy Thriller

चिराग खत्म हो जाने को है

चिराग खत्म हो जाने को है

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चिराग ख़त्म हो जाने को है,

रात से फ़ज्र हो जाने को है।


हाल क्या ही होगा अब

वक्त हमें आज़माने को है।


आप सरताज क्या हुए हमारे,

राह मुक़ाम तक पहुँचाने को है।


मायूस क्यों होते हो ऐ दोस्त,

मंज़िल हमारी टकराने को है।


मदहोशी-सी छायी है अब 

नशा जो सिरहाने को है।


ज्वाला ये मानो कह रही है,

तू हमें मिल जाने को है।


बेगरज़ ही साँस लेती हूँ मैं,

जान चंद दिनों में गवाने को है।


रईस मालूम पड़ते हो तुम,

सल्तनत ये छिन जाने को है।


फ़िज़ूल ही चिंता करती हूँ मैं,

डोली आज उठ जाने को है।


सुकून इस कद्र मिला है,

आँख मेरी भर आने को है।


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