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Taj Mohammad

Abstract

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Taj Mohammad

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यही दस्तूर होता है

यही दस्तूर होता है

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इश्क़ में हमेशा बस यही दस्तूर होता है।

यह जिससे भी करोगे वही दूर होता है।।1।।


दिलदार से दिलदार मिलता नही कभी।

फिर भी आशिको को ये मंजूर होता है।।2।।


देखता ना है इश्क़ ऊंच नीच इंसानों में।

हर दीवाना इसमे बड़ा मजबूर होता है।।3।।


उनकी मोहब्बत अब लबों पे आयी है।

हर सच्चा इश्क़ हमेशा मशहूर होता है।।4।।


क्यों ना लड़ जाये वह सारे ज़माने से।

उसे अपने हुस्ने इश्क़ पे गुरुर होता है।।5।।


नशा है इश्क़ आशिकों के दिलो का ।

इसमे हर पल ही एक सुरूर होता है।।6।।


यह इश्क़ है चाहत का गहरा समंदर।

गर डूबे इसमें फिर ना उरूज़ होता है।।7।।


डरता नही यह इश्क़ मौत के अंधेरे से।

दिलों में जब उस खुदा का नूर होता है।।8।।


दिल बेबस होकर बस सनम चाहता है।

मोहब्ब्त करना बस इसे मंसूब होता है।।9।।


सारे शहर से क्या मतलब यूँ इश्क को।

आशिक खुद मे बड़ा मसरूफ होता है।।10।।



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