यही औक़ात रही होगी
यही औक़ात रही होगी
उसने आँखों में झाँका! कोई ज़रूरत रही होगी,
मुझ ही को किया याद! कोई तो बात रही होगी।
धोखा ही दिया, जब दिया हाथ उठा के कभी,
ज़िन्दगी भर में उसकी यही फ़ितरत रही होगी।
पीठ पे वार तो सीखा था उसने बचपन में,
पूरी खानदान की बस यही औक़ात रही होगी।
वो मौके पे घर से निकल कर नहीं आया,
दिल में कहीं कोई बड़ी बात रही होगी।
भरी महफ़िल में बैठा था वो तन्हा तन्हा,
शायद ज़हन में कोई वारदात रही होगी।
उसने दामन में कुछ छिपा लिया 'केसर',
शायद, कोई महँगी सौगात रही होगी।