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Jyoti Deshmukh

Romance

4  

Jyoti Deshmukh

Romance

ये मजबूरी

ये मजबूरी

1 min
376


बड़ी जालिम होती है बड़ी निर्दयी होती है ये मजबूरियाँ 

सभी को अपनी इच्छाओं का गला घोंटने पर

मजबूर करती है ये मजबूरियाँ 


मैंने जब प्यार किया था किससे 

फूल सा खिला रहता था मेरा दिल 

लेकिन अब विरान सोया सा कुछ सहमा सा रहता है मेरा दिल 

इन्ही मजबूरियों के कारण रहता सुनसान, कुछ खामोश मेरा दिल 


जिसे चाहा था उसे ना पा सकेंगे कभी हम 

अब तो बस यही ग़म है 

अपने अरमानो की सेज भी न सज़ा सकेंगे हम 

इन्हीं "मजबूरियों " के कारण प्यार के ख़्वाबों को हकीकत में ना बदल पाये हम 


प्यार के छोटे से घरोंदे को चाहत के तिनकों से सजाया इसी जहान में 

जो एक तूफान आया ले उड़ा तिनकों को आसमान में 

इन्हीं "मजबूरियों " के कारण समा कर रह गया प्यार हमारा इसी कब्रिस्तान में।


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