ये मजबूरी
ये मजबूरी
बड़ी जालिम होती है बड़ी निर्दयी होती है ये मजबूरियाँ
सभी को अपनी इच्छाओं का गला घोंटने पर
मजबूर करती है ये मजबूरियाँ
मैंने जब प्यार किया था किससे
फूल सा खिला रहता था मेरा दिल
लेकिन अब विरान सोया सा कुछ सहमा सा रहता है मेरा दिल
इन्ही मजबूरियों के कारण रहता सुनसान, कुछ खामोश मेरा दिल
जिसे चाहा था उसे ना पा सकेंगे कभी हम
अब तो बस यही ग़म है
अपने अरमानो की सेज भी न सज़ा सकेंगे हम
इन्हीं "मजबूरियों " के कारण प्यार के ख़्वाबों को हकीकत में ना बदल पाये हम
प्यार के छोटे से घरोंदे को चाहत के तिनकों से सजाया इसी जहान में
जो एक तूफान आया ले उड़ा तिनकों को आसमान में
इन्हीं "मजबूरियों " के कारण समा कर रह गया प्यार हमारा इसी कब्रिस्तान में।